Samudra Manthan: सागर मंथन के दसवें क्रम में चंद्रमा का प्रादुर्भाव हुआ, जिसे भगवान शिव ने अपने मस्तक पर धारण कर लिया। Samudra Manthan
क्या आपको भी सपने में दिखते हैं ये पक्षी? जल्द बदलेगी किस्मत
यहां यह संकेत है कि भगवान को प्रिय वही हो सकता है, जो निर्मल और शीतल हो। जब जीवन की गति-मति छल-कपट और प्रपंच से रहित हो जाती है, तब उसका मन चंद्रमा के समान शीतल और निर्मल हो जाता है और वह प्रभु का प्रिय होकर, जगत वंदनीय हो जाता है। चंद्रमा का सहज गुणधर्म शीतलता है, जो कभी घटता या बढ़ता नहीं है, अपितु उसकी 16 कलाएं घटती और बढ़ती हैं।
विवाह पंचमी के दिन क्यों नहीं होती शादी?
कैसे तय होती है इसकी डेट?,12 साल बाद क्यों लगता है महाकुंभ
चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है और पृथ्वी सूर्य की। इस कारण सूर्य का आंशिक प्रकाश पृथ्वी द्वारा बाधित होने पर चंद्रमा पर छाया का हेतु होता है। इसी छाया से चंद्रमा की आकृति में आने वाले परिवर्तन को उसकी ‘कला’ कहते हैं, जिसके अवलंबन से भारतीय पंचांग में तिथियों निर्धारण होता है।
पुरुषार्थ अथवा सत्कर्म से चंद्रमा की कला के समान जब जीवन में मान-सम्मान, धन-बल, जन-बल और ऐश्वर्यादि की अभिवृद्धि हो, तो उस पर अभिमान न करके, चंद्रमा के तुल्य समाज को यथाशक्ति सुख प्रदान करके, मानव जीवन को कृतज्ञतापूर्वक धन्य-धन्य करने में ही जीवन की सार्थकता है।
जीवन में आने वाली अनुकूलता या प्रतिकूलता के कारण कभी भी अपनी मूल प्रकृति का परित्याग नहीं करना चाहिए, क्योंकि जीवन में आने वाले सुख-दुख तो चंद्रकला के सदृश अस्थायी होते हैं, जैसे आकाश में बादल आते हैं और चले जाते हैं, ऐसे ही चंद्रमा की कलाएं घटती-बढ़ती रहती हैं, लेकिन वह सदा एक समान ही रहता है।
महाकुंभ में नहीं बिछडेंगे अपने, 56 थाने और 144 चौकियां बनाई जाएंगी
Mokshada Ekadashi 2024: श्री हरि को लगाएं ये भोग
इसी प्रकार हमें भी अपने आदर्श और संस्कारों को सदा एक-सा रखना चाहिए, चंदन के वृक्ष पर विषैले सर्प चारों ओर लिपटे रहते हैं, किंतु उस पर उनके विष का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, क्योंकि वह अपनी शीतलता का परित्याग नहीं करता है। ठीक इसी प्रकार जिसका हृदय चंद्रमा के समान शीतल हो जाता है, वह पुण्यात्मा भगवद्भक्ति रूपी अमृत का पान कर, मोक्ष पद को सहज ही वरण कर लेता है।
जानें, क्या है एकलिंगजी मंदिर का इतिहास? किसे दिया था…
जानिए, इस रहस्यमयी मंदिर के बारे में, जहां होता है तलाक का फैसला!
Margashirsha Amavasya : पितरों को ऐसे करें प्रसन्न