Uttar Pradesh News : वाराणसी में गंगा की सहायक नदियों असि और वरुणा के जीर्णोद्धार में देरी पर एनजीटी ने यूपी सरकार और डीएम वाराणसी की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (ngt) की पीठ ने वरुणा और असि के अतिक्रमण पर यूपी सरकार से सीधे जवाब मांगा है। सुनवाई में एनजीटी ने पूछा-आखिर असि-वरुणा से अतिक्रमण कब हटेगा?
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NGT चेयरपर्सन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव एवं विशेषज्ञ सदस्य डा. ए.सेंथिल वेल की संयुक्त पीठ ने यह भी पूछा-असि-वरुणा नदी के जीर्णोद्धार के लिए एक स्थायी पर्यावरणविद की नियुक्ति करनी थी क्या वह हुई? जिस पर राज्य सरकार के अधिवक्ता ने अनभिज्ञता जताई।
10 हजार का भरा जुर्माना
यूपी सरकार काउंसिल एडवोकेट भंवर पाल जादौन ने बताया-DM S. Rajalingam ने एनजीटी की ओर से लगाया गया 10 हजार रुपए जुर्माना भर दिया है। जिस पर कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि डीएम यह जुर्माना निजी मद से भरें, सरकारी मद से नहीं। यह जुर्माना डीएम एस. राजलिंगम (DM S. Rajalingam) पर लगाया गया था। इसको जनता के पैसे से ना खर्च किया जाए।
चेयरपर्सन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव एवं विशेष सदस्य डा. ए.सेंथिल वेल की संयुक्त पीठ ने केस में सबसे पहले वरुणा और असि को लेकर डीएम वाराणसी के जवाब पर चर्चा की। स्टेट काउंसिल के वकील भंवर पाल जादौन ने बताया कि जिलाधिकारी वाराणसी ने कोर्ट 10 हजार रुपए जुर्माने को भर दिया है। कोर्ट में इस जुर्माने की रसीद सबमिट की जा रही है।
जज ने पूछा-किस मद से भरा जुर्माना
जज प्रकाश श्रीवास्तव ने पूछा-डीएम ने यह पैसा किस मद से भरा है? यह जुर्माना डीएम की लचर कार्यशैली पर लगाया गया था।
इसलिए इसे निजी मद से ही भरें। जनता के पैसे में जुर्माना नहीं शामिल करें। इसके बाद याचिकाकर्ता अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने वरुणा असि की दशा का जिक्र करते हुए ठोस कार्रवाई की मांग करते हुए प्रभावी अनुपालन नहीं होने की बात कही। एनजीटी ने सरकार से पूछा कि आखिर कब अतिक्रमण हटाया जाएगा। कहा कि सरकार इस पर जल्द से जल्द हलफनामा दे और तय समय में अतिक्रमण हटाएं।
एडवांस आक्सीडेशन प्लांट पर उठा सवाल
एनजीटी ने पूछा- असि-वरुणा नदी के जीर्णोद्धार के लिए एक स्थायी पर्यावरणविद की नियुक्ति करनी थी। क्या प्रदेश सरकार या वाराणसी प्रशासन ने इसको नियुक्त किया।
जिस पर राज्य सरकार के अधिवक्ता ने अनभिज्ञता जताई। दूसरे सवाल में एनजीटी नें असि नदी में लगाए गये एडवांस आक्सीडेशन प्लांट पर सवाल उठाते हुए कहा की क्या केन्द्रीय प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड की सहमति ली गयी है? एनजीटी ने इस पर जबाब भी अगली सुनवाई की तिथि के पहले मांगा है।