KANPUR NEWS: छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू), कानपुर और वैश्विक संगठन विटामिन एंजेल्स (VAI) के साथ मिलकर शहर को एनीमिया मुक्त बनाने का काम करेंगे। KANPUR NEWS
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दोनों संस्थानों के बीच बुधवार को समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस अवसर पर सीएसजेएमयू के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने कहा- यह साझेदारी विश्वविद्यालय की सार्वजनिक स्वास्थ्य में प्रतिबद्धता को मजबूत करेगी। सहयोगात्मक शोध, फील्ड कार्य और छात्र सहभागिता के माध्यम से हम क्षेत्र में मातृ स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान देने का प्रयास करेंगे।”
ये संगठन मातृ एवं बाल स्वास्थ्य में पोषण हस्तक्षेपों के माध्यम से सुधार के लिए कार्य करता है। ये सहयोग भारत सरकार के एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के साथ जुड़ते हुए मातृ एनीमिया को समाप्त करने और सामुदायिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने की दिशा में काम करेंगे।
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50.4% महिलाएं एनीमिया से प्रभावित
विटामिन एंजल्स के एशिया के वरिष्ठ क्षेत्रीय तकनीकी निदेशक डॉ. अशुतोष मिश्रा ने बताया- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (NFHS-5) के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 15-49 आयु वर्ग की 50.4% महिलाएं एनीमिया से प्रभावित हैं। भारत की पोषण संबंधी स्थिति चिंताजनक है, जहां 2021 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत का रैंक 116 देशों में से 101 रहा, जो 2020 में 94 था।
WHO के अनुसार
अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के वैश्विक खाद्य नीति सर्वेक्षण (2022) के अनुसार, 2030 तक लगभग 73.9 मिलियन भारतीय भूख से पीड़ित हो सकते हैं। प्रोटीन, विटामिन सी और आयरन जैसे पोषक तत्वों की कमी महिलाओं में एनीमिया का प्रमुख कारण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 2019 में 15-49 आयु वर्ग की 29.9% प्रजनन आयु वाली महिलाएं एनीमिया से प्रभावित थीं, जिनमें अधिकांश आयरन की कमी के कारण पीड़ित थीं।
प्रोजेक्ट AMMA के तहत शुरू होगा अभियान
इसके लिए VAI ने प्रोजेक्ट AMMA कानपुर के तहत 3 ब्लॉक शिवराजपुर, चौबेपुर और गोविंदनगर में सर्वे शुरू किया है। प्रोजेक्ट AMMA का उद्देश्य सामुदायिक जागरूकता बढ़ाना एवं मातृ और किशोर स्वास्थ्य में सुधार के लिए आयरन फोलिक एसिड सप्लीमेंट्स को प्रोत्साहित करना और सरकारी विभागों जैसे स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास, पंचायती राज और शिक्षा के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना है।
यह साझेदारी 1 अक्टूबर, 2024 से प्रभावी होगी और 30 अप्रैल, 2026 तक चलेगी। इसमें मातृ पोषण और एनीमिया में कमी के लिए मापने योग्य परिणामों पर ध्यान दिया जाएगा।