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जजों के होते हैं कई छुपे हुए दुश्मन, आधारहीन शिकायतों पर नहीं होनी चाहिए जज पर कार्रवाई
चंडीगढ़
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस एबी चौधरी व जस्टिस कुलदीप ङ्क्षसह की खंडपीठ ने हाईकोर्ट की फुल बेंच के आदेश को खारिज करते हुए एडिशनल सेशन जज को दोबारा सेवाओं में लाने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि जो आधार प्री मिच्योर रिटायरमेंट के लिए बनाए गए थे वह काफी नहीं थे। इमानदार जजों के छुपे दु्रश्मन होते हैं और बड़ी संख्या में उनके खिलाफ झूठी शिकायतें सौंपी जाती हैं। ऐसे में यह हाईकोर्ट का फर्ज है कि वह अपने आधीन काम करने वाले ईमानदार जजों की रक्षा करें।
- जिसके खिलाफ फैसला आता है वह जज को बुरा और भ्रष्टï बताने लगता है: कोर्ट
- जज को प्री मिच्योर रिटायरमेंट के हाईकोर्ट की फुल कोर्ट के फैसले को खंडपीठ ने किया खारिज
- खराब एसीआर लिखते हुए इसके लिए दर्ज किया जाए उचित कारण और ठोस सबूत
मामला एडिशनल सेशन जज रविंदर सिंह को प्री मिच्योर रिटायरमेंट देने से जुड़ा है। रविंदर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर हाईकोर्ट की फुल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने केस का निपटारा करते हुए हाईकोर्ट को यह केस सुनने को कहा था। याची ने कोर्ट को बताया कि 2007-08 व 2008-09 की उसकी एसीआर को सी ग्रेड दिया गया जो सामान्य से नीचे था। इसके साथ ही उसके खिलाफ एक शिकायत सौंपी गई थी जो आधार विहीन थी। कोर्ट ने याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए एसीआर की समीक्षा कर कहा कि कैसे किसी जज के खिलाफ लोगों के बीच क्या बात होती है इससे उसकी ख्याति पर टिप्पणी की जा सकती है। जज जिसके खिलाफ आदेश जारी करता है वह उसके लिए बुरा हो जाता है। यदि जज की ख्याति को लेकर कोई शिकायत होती है तो उसे उस जज के सामने रख उसका पक्ष लिया जाना जरूरी है। इसके बाद ही एसीआर में एडवर्स टिप्पणी की जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में केवल मौखिक आधार पर होने वाली बातों को आधार बनाकर एसीआर में टिप्पणी की गई जो गलत है और ऐसे में कोर्ट ने दोनों एसीआर को सी से बी प्लस करने के आदेश दिए हैं।
साथ ही जज के खिलाफ मौजूद लिखित शिकायत पर कोर्ट ने कहा कि यह शिकायत देने वाला न तो उस केस में पार्टी था जिसकी शिकायत की है और न ही उसने शिकायत लिखते हुए अपना पूरा पता लिखा। कोर्ट ने कहा कि याची के खिलाफ जिले के प्रशासनिक जज के पास इंक्वायरी रिपोर्ट पहुंची जिसमें जज के खिलाफ एक्शन न लेने का निर्णय लिया गया लेकिन इसे फुल कोर्ट के सामने पेश कर दिया गया। सी ग्रेड वाली दो एसीआर की मौजूदगी में यह शिकायत जज के करियर के कफन की कील साबित हुई। इसी के आधार पर उसे प्री मिच्योर रिटायर करने का निर्णय ले लिया गया।
जजों को भी इंसाफ का अधिकार
कोर्ट ने कहा कि निचली अदालतों के जजों की निगाह हाईकोर्ट पर ही होती है और ऐसे में कोर्ट को उनके साथ हर हाल में इंसाफ करना चाहिए। यदि हाईकोर्ट इन जजों के साथ इंसाफ नहीं करेगा तो कैसे वे अपनी जिम्मेदारियों को ईमानदारी से निभा सकेंगे। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट में इन जजों की एसीआर लिखी जाती है और ऐसे में एडवर्स रिमार्क दर्ज करते हुए बेहद सावधानी बरती जानी चाहिए।
6 साल की लड़ाई के बाद इंसाफ
एडिशनल जज रविंदर सिंह को 28 फरवरी 2012 को हाईकोर्ट की फुल बेंच ने प्री मिच्योर रिटायर करने की सिफारिश पंजाब कसरकार को की थी। 28 मार्च 2012 को पंजाब के गवर्नर ने उन्हें प्री मिच्योर रिटायरमेंट दे दी। इसके खिलाफ केस रविंदर सिंह ने 6 साल लड़ा और अब हाईकोर्ट ने उन्हें सेवा में बहाल करने के तथा वरिष्ठïता व अन्य सभी लाभ जारी करने के आदेश दिए हैं।
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