Mahakumbh 2025: महाकुंभ (Mahakumbh) में शामिल होने वाली साधु-संतों की टोली हर बार की तरह इस बार भी चर्चा का विषय बनी हुई है। Mahakumbh 2025
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इस भव्य मेले (Mahakumbh 2025) में किन्नर अखाड़े की पूजा आकर्षण का केंद्र बनी हुई है, क्योंकि इनकी जीवनशैली के बारे में हर कोई जानना चाहता है, तो चलिए उनसे जुड़ी कुछ रोचक तथ्यों को जानते हैं, जो यहां पर दिए गए हैं। Mahakumbh 2025
किन्नर अखाड़े में इस खास समय दिलाई जाती है दीक्षा
ऐसा बताया जाता है कि जब किन्नर अखाड़े में किसी को दीक्षा दिलाई जाती है, तो उससे जुड़े पूजा-अनुष्ठान आधी रात को ही किए जाते हैं, क्योंकि इसके पीछे एक खास वजह है। दरअसल, तंत्र विधान के मुताबिक, महाकुंभ हो या कुंभ, हमेशा आधी रात को ही अघोरी काली पूजा (Aghor Kali Sadhana) होती है। इसमें डमरू की गूंज के साथ मंत्रोच्चारण किया जाता है। यह पूजा किन्नर अखाड़े की तांत्रिक परंपराओं का एक अहम हिस्सा है।
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अनूठी आस्था
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एक बड़े हवन कुंड के चारों ओर मानव खोपड़ियां, दीपों को रोशनी, तेज आवाज में गूंजते डमरू और मंत्रोच्चारण इस दृश्य को और भी रहस्यमय और आध्यात्मिक बनाती हैं। यह साधना तंत्र विद्या, आध्यात्मिक शक्ति और आस्था का अद्वितीय संगम है।
इसलिए आधी रात में होती है पूजा
इसके अलावा ये भी माना जाता है कि महाकुंभ के दौरान सभी देवी-देवता धरती लोक पर आते हैं। ऐसे में इस दौरान इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। साथ ही रात्रि का समय तंत्र साधना के लिए भी सबसे उत्तम और फलदायी माना जाता है। यही कारण है कि किन्नर अखाड़े (Kinnar Akhara) में आधी रात को ही पूजा होती है।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। JAIHINDTIMES इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है।