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कार्तिक मास में जो लोग संकल्प लेकर हर रोज सुबह सूर्योदय से पहले उठकर किसी तीर्थ स्थान, किसी नदी अथवा पोखर पर जाकर स्नान करते हैं या घर में ही गंगाजल युक्त जल से स्नान करते हुए भगवान का ध्यान करते हैं, उन पर प्रभु प्रसन्न होते हैं। स्नान के पश्चात पहले भगवान विष्णु और बाद में सूर्य भगवान को अर्घ्य प्रदान करते हुए विधिपूर्वक अन्य दिव्यात्माओं को अर्घ्य देते हुए पितरों का तर्पण करना चाहिए। KARTIK 2024
कार्तिक मास के नियम
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पितृ तर्पण के समय हाथ में तिल अवश्य लेने चाहिए क्योंकि मान्यता है कि जितने तिलों को हाथ में लेकर कोई अपने पितरों का स्मरण करते हुए तर्पण करता है उतने ही वर्षों तक उनके पितर स्वर्ग लोक में वास करते हैं।
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इस मास अधिक से अधिक प्रभु नाम का चिंतन करना चाहिए।
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स्नान के बाद नए एवं पवित्र वस्त्र धारण करें तथा भगवान विष्णु जी का धूप, दीप, नेवैद्य, पुष्प एवं मौसम के फलों के साथ विधिवत सच्चे मन से पूजन करें, भगवान को मस्तक झुकाकर प्रणाम करते हुए किसी भी गलती के लिए क्षमा मांगे।
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कार्तिक मास की कथा खुद भी सुनें तथा दूसरों को भी सुनाएं।
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कुछ लोग कार्तिक मास में व्रत करने का भी संकल्प करते हैं तथा केवल फलाहार करते हैं जबकि कुछ लोग पूरा मास एक समय भोजन करके कार्तिक मास के नियम का पालन करते हैं।
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इस मास में श्रीमद्भागवत कथा, श्री रामायण, श्रीमद्भगवदगीता, श्री विष्णुसहस्रनाम आदि स्रोत्रों का पाठ करना उत्तम है।
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कार्तिक मास में दान अति श्रेष्ठ कर्म है। स्कंदपुराण के अनुसार दानों में श्रेष्ठ कन्यादान है। कन्यादान से बड़ा विद्या दान, विद्यादान से बड़ा गौदान, गौदान से बड़ा अन्न दान माना गया है।
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अपनी सामर्थ्यानुसार धन, वस्त्र, कंबल, रजाई, जूता, गद्दा, छाता व किसी भी वस्तु का दान करना चाहिए तथा कार्तिक में केला और आंवले के फल का दान करना भी श्रेयस्कर है।
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कार्तिक मास में उड़द, मसूर, करेला, बैंगन और हरी सब्जियां आदि भारी चीजों का त्याग करना चाहिए।
कार्तिक मास में ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए काम-विकार न करें। ब्रह्म में लीन होना ब्रह्मचर्य है। जो व्यक्ति आत्मा में रमन करता है वही ब्रह्मचर्य का पालन कर सकता है।
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