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Dhanteras के दिन हर कोई मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करता है. मान्यता के अनुसार धनतेरस के दिन ही क्षीर सागर से माता लक्ष्मी और कुबरे देवता प्रकट हुए थे. इसी वजह से धनतेरस के दिन इनकी पूजा बेहद शुभ मानी जाती है. लेकिन क्या आपको यह मालूम है कि धनतेरस के दिन मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा की जाती है? जी हां, धनतरेस के दिन शाम को पूजा के बाद घर के बाहर एक बड़ा दीपक जलाकर रखा जाता है, उस दीपक का नाता यम देवता है.
यहां जानिए क्यों… क्यों जलाया जाता है धनतेरस के दिन दीपक
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एक पौराणिक कथा के अनुसार हेम नाम का एक राजा था, जिसे वर्षों बाद बहुत मुश्किलों से एक पुत्र की प्राप्ति हुई.
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राजा ने जब उस बालक की कुंडली बनवाई तब उसे ज्योतिष ने बताया कि इसकी कुंडली में मृत्य योग है.
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शादी के दसवें दिन इसकी मौत हो जाएगी. यह सुनकर राजा हेम ने अपने पुत्र की शादी ना करने का निश्चय किया.
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उसने अपने पुत्र को ऐसे स्थान पर भेज दिया जहां कोई स्त्री नही थी.
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लेकिन उसके भाग्य में कुछ और ही था. राजा के लाख प्रयासों के बाद भी उसके पुत्र को उस स्थान पर घने जंगलों में एक सुंदर स्त्री मिली और दोनों को आपस में प्रेम हो गया.
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दोनों ने गंधर्व विवाह कर लिया.
टल जाएगा अकाल मृत्यु का योग
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भविष्यवाणी के अनुसार शादी के दसवें दिन यमदूत उसके प्राण लेने आया.
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यमदूत को देख उसकी पत्नी बहुत रोई. यमदूत जब प्राण लेकर यमराज के पास पहुंचा तो बेहद दुखी था.
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यमराज ने दूत से दुख का कारण पूछा तो उसने कहा कि कर्तव्य के आगे कुछ नहीं होगा. इस बात पर यमदूत ने यमराज से पूछा कि क्या इस अकाल मृत्यु को रोकने का कोई उपाय है?
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तब यम ने कहा कि अगर कोई भी मनुष्य कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी (13वें दिन) शाम के समय अपने घर के द्वार पर दक्षिण दिशा में दीपक जलाएगा तो उसके जीवन से अकाल मृत्यु का योग टल जाएगा.
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बस उसी दिन से धनतेरस की शाम यम की पूजा होने लगी.
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क्योंकि हर साल धनतेरस भी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की तेरस यानी 13वें दिन ही आती है.
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