#ChhatPooja : आज है खरना, 36 घंटे का निर्जला व्रत रखेंगी महिलाएं
#ChhatPooja : लोक आस्था का महापर्व छठ के चार दिवसीय अनुष्ठान के दूसरे दिन ‘खरना’ की विधि की जाती है. खरना का मतलब है पूरे दिन का उपवास. पहले दिन नहाय-खाय के बाद व्रती सोमवार को खरना करेंगे. खरना को ‘लोहड़ा’ भी कहा जाता है.
दूसरे दिन होता है खरना
नहाय खाय के दूसरे दिन खरना होता है, जो कार्तिक शुक्ल की पंचमी तिथि होती है. व्रती व्यक्ति इस दिन जल की एक बूंद तक ग्रहण नहीं करता. शाम होने पर गन्ने का जूस या गुड़ के चावल या गुड़ की खीर का प्रसाद बना कर बांटा जाता है. प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है.
नए चूल्हे पर बनाया जाता है प्रसाद
- इस दिन भोजन में गुड़ की खीर खाने की परंपरा है.
- खीर पकाने के लिए साठी के चावल का प्रयोग किया जाता है. भोजन काफी शुद्ध तरीके से बनाया जाता है.
- खरना के दिन जो प्रसाद बनता है, उसे नए चूल्हे पर बनाया जाता है. और ये चूल्हा मिट्टी का बना होता है.
- चूल्हे पर आम की लकड़ी का प्रयोग करना शुभ माना जाता है. खरना इसलिए भी खास है क्योंकि इस दिन जब व्रती प्रसाद खा लेती हैं तो फिर वे छठ पूजने के बाद ही कुछ खाती हैं.
- छठ करने के लिए 36 घंटे तक उपवास रखना होता है.
- इस दौरान पानी तक नहीं पिया जाता है.खरना के बाद आसपास के लोग भी व्रतियों के घर पहुंचते हैं और मांगकर प्रसाद ग्रहण करते हैं. गौरतलब है कि इस प्रसाद के लिए लोगों को बुलाया नहीं जाता, बल्कि लोग खुद व्रती के घर पहुंचते हैं.
- कई लोग जहां गंगा के तट पर या जलाशयों के किनारे खरना करते हैं, वहीं कई अपने घर में ही विधि-विधान से खरना करते हैं.