#ACCIDENT : सिग्नेचर ब्रिज पर रफ्तार से रेस पड़ी महंगी
#ACCIDENT : चंद्रशेखर का सपना डॉक्टर बनने का था, जो पूरा हो गया, लेकिन उसका शौक हवाओं से बात करने का भी था, इसलिए उसने रेसिंग बाइक अपने बर्थडे पर गिफ्ट के तौर पर ली थी।
वह अक्सर तेज रफ्तार में बाइक को चलाता था, लेकिन परिजनों को क्या पता था कि उसका यही शौक उसे ले डूबेगा। ये बातें कहते हुए चंद्रशेखर के पिता बार-बार बेहोश हो जा रहे थे। हादसे में मारे गए चंद्रशेखर के पिता शिव नारायण व अन्य रिश्तेदार भी दोपहर बाद तक ट्रामा सेंटर हॉस्पिटल पहुंचे।
सिर पटकते हुए जोर-जोर से चिल्लाते रहे पिता
- पिता और अन्य रिश्तेदारों ने जैसे ही उसकी लाश देखी तो दहाडें मारकर रोने लगे और जमीन पर अपना सिर पटकते हुए जोर-जोर से चिल्लाते रहे।
- वह यही कह रहे थे, ‘हे ईश्वर मुझे उठा ले, मगर मेरे बच्चे को वापस भेज।’ वह बार-बार बेटे के शव से लिपट रहे थे और आवाजें देते रहे कि एक बार उठकर उनके गले मिले।
- पिता शिवनारायण ने बताया कि छठ पूजा मनाने के बाद उनका बेटा वीरवार को वापस हॉस्टल आने के लिए तैयार होने लगा। तभी उन्होंने कहा कि कल गुरुपर्व की छुट्टी है।
- इसलिए शनिवार को हॉस्टल चले जाना। लेकिन चंद्रशेखर ने कहा कि पापा मुझे पढ़ाई करनी है इसलिए जाना जरूरी है, और वह यह बात कहकर घर से निकल गया।
बाइक चलाने का था शौक
- बड़े भाई गोविंद ने बताया कि चंद्रशेखर को बाइक चलाने का बहुत शौक था, लेकिन अभी तक वह पूरी तरह से सीख नहीं पाया था। एक महीने पहले भी चंद्रशेखर बाइक चलाते समय हलका दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। जिसमें उसके घुटने और हाथ में चोट आई थी।
- इसके बावजूद उसका दोस्त सत्य विजय शंकरण उसके शौक को पूरा करने के चलते उसे बाइक सिखाता रहता था।
- उन्होंने बताया कि चंद्रशेखर मुझ से आई-फोन की मांग कर रहा था।
- इस पर मैंने उससे कहा कि पढ़ाई पूरी होने के बाद उसे फोन मिल जाएगा। दोस्त को उदास देख विजय ने उसे एक फोन गिफ्ट कर दिया।
- यगांव गोपालगंज डिस्ट्रिक्ट बिहार निवासी सत्य विजय शंकरण बाड़ा हिन्दूराव हॉस्पिटल स्थित बॉयज हॉस्टल कमरा नं-12 में दोस्त चंद्रशेखर और रविंद्र के साथ रहता था।
- परिवार में पिता डॉ. सतीश चंद्र शंकरण एक मेडिकल कॉलेज में कैमिस्ट्री के प्रोफेसर हैं।
- जबकि दो भाई डॉ. सत्य प्रकाश और सत्यजीत सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। यचंद्रशेखर का परिवार 615 देवली गांव, खानपुर साउथ में रहता था।
- परिवार में एमसीडी स्कूल में टीचर पिता शिव नारायण, मां रेखा देवी, भाई गोविंद ने आईआईटी एमएससी किया है। जबकि बड़ा भाई अरविंद सरकारी जॉब की तैयारी कर रहा है।
योगा कराने का वादा रह गया अधूरा
- हादसे में जान गंवाने वाले डॉक्टर चन्द्रशेखर ने वीरवार शाम केयर टेकर से योगा कराने का वादा किया था। लेकिन योगा कराने से पहले ही चन्द्रशेखर मौत के मुंह में समा गए।
- चंद्रशेखर की सिग्नेचर ब्रिज पर हुए हादसे में मौत हो गई। हादसे के बाद पूरे हॉस्टल में मातम छाया हुआ है। हॉस्टल के गार्ड से लेकर तमाम मेडिकल स्टूडेंट सहमे-सहमे से नजर आए।
- हॉस्टल के केयर टेकर समीर शर्मा ने बताया कि चन्द्रशेखर व विजयशंकरण दोनों हॉस्टल के रूम नंबर 12 में रहते थे। वह दोनों ही पढ़ाई लिखाई में बहुत होनहार थे।
- जिस दिन डॉक्टर चन्द्रशेखर का अवकाश होता था, वह मेरे रूम में आकर मुझे नींद से जगाता और योगा कराता था।
- वीरवार शाम चन्द्रशेखर से मुलाकात के दौरान उन्होंने सुबह आठ बजे योगा के लिए तैयार रहने को कहा था, लेकिन उन्हें क्या पता था कि चन्द्रशेखर अब उन्हें कभी योगा नहीं करा पाएगा।
बर्थडे में मिली थी केटीएम बाइक
विजय के करीबी रिश्तेदार ने बताया कि उसके परिवार की आॢथक स्थिति बहुत मजबूत है। पिछले साल विजय का जन्मदिन था तो उसके परिजनों ने उसे केटीएम-200 सीसी की बाइक गिफ्ट की थी। हादसे के दौरान बाइक के साइड पर लगा रिम और पिछला हिस्सा टूट गया। वहीं, पुलिस सूत्रों ने बताया कि हादसे के दौरान बाइक की स्पीड बहुत तेज थी, इसकी वजह से बाइक और अगला पहिया भी जाम हो गया। दुर्घटना के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। परिजनों को विश्वास ही नहीं हो रहा है कि उनके बेटे की मौत हो गई है।
वही हुआ, जिसका …
- उद्घाटन के बाद से जिस तरह से सिग्नेचर ब्रिज पर स्टंट और खतरनाक ढंग से सेल्फी का क्रेज बढ़ रहा है, उसमें ऐसा हादसा होने का डर था।
- लोगों का कहना है कि ट्रैफिक पुलिस यदि वहां ट्रैफिक नियमों को लेकर सख्ती बरते तो स्टंट और रोड किनारे रुककर सेल्फी लेने पर रोक लग सकती है, लेकिन पुलिस ने एहतियात नहीं बरती।
खामियां दे रहीं हादसों को न्यौता
- सिग्नेचर ब्रिज राजधानी में इस समय सेल्फी प्वाइंट बना हुआ है और करोड़ों की लागत से बना यह पुल राजधानी वासियों के लिए एक नायाब तोहफा भी है।
- लेकिन इस ब्रिज में कई ऐसी खामियां हैं जिसके चलते आने वाले दिनों में हादसे और बढ़ सकते हैं।
- इस संबंध में ट्रैफिक पुलिस ने सरकार को पत्र लिख जल्द से जल्द इन खामियों को दूर करने को कहा है।
- बताया जाता है कि ब्रिज पर इसी खामी के चलते दो डॉक्टरों की जान चली गई।
ये हैं खामियां
- अभी पूरी तरह से नहीं लगे ब्लीकर्स और साइन बोर्ड पुल का उद्घाटन भले ही हो गया हो, लेकिन अभी तक पूरे साइन बोर्ड और ब्लीकर्स नहीं लगे हैं, जिसके कारण लोगों को आगे लूप है या स्पीड धीमी करनी है इसका पता नहीं चल पाता।
- आने वाले समय में तराई का इलाका होने के कारण यहां पर धुंध ज्यादा होगी, नतीजतन हादसों की संख्या बढ़ सकती है।
- हालांकि इस संबंध में ट्रैफिक पुलिस उद्घाटन के बाद ही लोगों को एडवाइजरी जारी कर चुका है, लेकिन उसके बाद भी इस खामी को दूर नहीं किया गया है।
- सुबह जो हादसा हुआ है उसकी प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि एक पोल से तार बाहर निकला हुआ था और इसी तार में रफ्तार से जा रही बाइक फंसी और डिवाइडर से टकरा गई।
- हालांकि सरकार ने इस बात से इंकार किया है, लेकिन मौके की तस्वीरें साफ करती है कि ये तार बाहर निकले हुए हैं।
- लेकिन एक आईएएस अधिकारी ने उन्हें नजर अंदाज कर इसे एनओसी दे दी और सरकार ने इसे मंजूर कर लिया, हालांकि सरकार ने दावा किया था कि जल्द इन खामियों को दूर कर लिया जाएगा, लेकिन अभी तक ये दूर नहीं की गई।
अधिकांश लाइटें रहती हैं बंद
जांंच में पाया गया है कि शुरुआती समय में जो लाइटें लगाई गई थीं अब उनमें से अधिकांश खराब हो गई हैं। ऐसे में डार्क स्पॉट के कारण हादसे की संख्या बढ़ सकती है।