Advertisements
विधि
हर त्योहार पर कुछ न कुछ खास पकवान बनाए और खाए जाते हैं. इसी तरह मकर संक्रांति का त्योहार भी तिल और गुड़ के बिना अधूरा माना जाता है.
आइए आपको बताते हैं कि मकर संक्रांति पर तिल-गुड़ की चीजें बनाने की परंपरा के पीछे की क्या है वजह.
मकर संक्रांति पौष माह के शुक्ल पक्ष में पड़ती है. इस दौरान ठंड भी काफी होती है. इस कारण ऐसी चीजें खाई जाती हैं जिससे शरीर को गर्मी मिले. इसीलिए तिल और गुड़ से बनी चीजें ज्यादातर खाई जाती हैं. इन दोनों की तासीर गर्म होती है.
मराठी लोग तो संक्रांति बहुत उत्साह के साथ मनाते हैं. घर आने वाले मेहमानों को तिल गुड़ से बनी चीजें खिलाते हैं.
इस दौरान वे ‘तिल, गुड़ घ्या नि गोड गोड बोला’ भी कहते हैं. यानी तिल गुड़ की चीजें खाइए और अच्छा-अच्छा बोलिए.
इस दौरान वे ‘तिल, गुड़ घ्या नि गोड गोड बोला’ भी कहते हैं. यानी तिल गुड़ की चीजें खाइए और अच्छा-अच्छा बोलिए.
- सर्दी के मौसम में तिल और गुड़ का खूब इस्तेमाल किया जाता है और यह बहुत फायदेमंद भी होता है. संक्रांति आने से पहले-पहले लोग तिल और गुड़ की चीजें बनाने लगते हैं.
- गजक, चिक्की, तिल का लड्डू आदि इनमें से खास हैं. इनकी खास बात यह है कि आप इन्हें लंबे समय तक स्टोर कर भी रख सकते हैं.
- आयुर्वेद में भी ठंड के मौसम में तिल-गुड़ खाना बहुत अच्छा और स्वास्थ्यवर्धक माना गया है. यह शरीर को गर्म रख इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है.
- तिल में मौजूद तेल शरीर के तापमान को सही बनाए रखता है.
- वहीं गुड़ की तासीर गर्म होती है और इसमें मौजूद आयरन और विटामिन C गले और सांस की परेशानी को दूर करता है.
- इसी वजह से मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ के ढेर सारे व्यंजन बनाए और खाए जाते हैं.
Loading...