पुराणों में लिखा है सृष्टि को वाणी देने के लिये ब्रह्मा जी ने कमंडल से जल लेकर चारों दिशाओं में छिड़का। इस जल से हाथ में वीणा धारण किये जो शक्ति प्रकट हुई वह सरस्वती कहलाई। उनके वीणा का तार छेड़ते ही तीनो लोकों में ऊर्जा का संचार हुआ और सबको शब्दों की वाणी मिल गई। वह दिन बसंत पंचमी का दिन था इसलिये बसंत पंचमी को सरस्वती देवी का दिन भी माना जाता है।
माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को सरस्वती की पूजा के दिन रूप में भी मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों में ऐसी मान्यता है कि इसी दिन शब्दों की शक्ति मनुष्य के जीवन में आई थी। शास्त्रों में बसंत पंचमी के दिन कई नियम बनाए गए हैं जिसका पालन करने से माता सरस्वती प्रसन्न होती हैं। बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र पहनना चाहिए और मां सरस्वती को पीले और सफेद रंग का फूल चढ़ाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन अगर शास्त्रों में बताए गए नियमों का पालन न किया जाए तो मां सरस्वती प्रसंन नहीं होती हैं। जानें क्या हैं ये नियम-
बसंत पंचमी के दिन न करें ये गलतियां-
- शुभ अवसर पर काला कपड़ा पहनना शास्त्रों में वर्जित माना गया है। ऐसे में बसंत पंचमी के दिन काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए।
- बसंत पंचमी के दिन सुबह स्नान जरूर कर लेना चाहिए। बिना नहाए कुछ भी नहीं खाना चाहिए। माता सरस्वती की पूजा के बाद ही कुछ खाना चाहिए।
- बसंत पंचमी वाले दिन सात्विक भोजन करना चाहिए। इस दिन मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
- बसंत पंचमी पर पेड़-पौधों को नहीं काटना चाहिए।
- बसंत पंचमी के दिन सभी से प्यार और संयम से बोलना चाहिए। इस दिन किसी से वाद-विवाद या क्रोध नहीं करना चाहिए।