#HEALTH : कब्ज या दस्त में केला खाना चाहिए या नहीं , यहां है…
#HEALTH : केले से जुड़े कई सवाल लोगों के मन में होते हैं. जैसे केला खाने के नुकसान क्या होते हैं, केला का वानस्पतिक नाम क्या है, केला के पेड़ से जुड़े कई सवाल, केला खाने के फायदे और नुकसान, सुबह खाली पेट केला खाने के फायदे, रात में केला खाने के फायदे, केला और शहद, केले के औषधीय गुण और भी कई सवाल जो केले से जुड़े हैं और लोग इनके जवाब तलाशते हैं. इन्हीं में एक और सवाल होता है जो बहुत पूछा जाता है कि केला खाने से कब्ज होता है या केला खाने से कब्ज दूर होता है तो इस सवाल का जवाब आपको हम देते हैं. सबसे पहले जान लेते हैं कि केले में कितनी कैलोरी होती हैं आमतौर पर एक बड़े केले में 110 से 120 कैलोरी होती है. तो आपको अपनी डाइट और कैलोरी इनटेक पर नजर बना कर ही इसे लेना चाहिए. केले में तकरीबन 30 ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स और एक ग्राम प्रोटीन भी मिल जाता है.
केला कब्ज में देता है राहत
वजन कम करने में मददगार है केला…
केले में विटामिन सी, विटामिन बी6, मैंगनीज, बायोटिन, पोटैशियम और फाइबर होता है. यह सभी पोषक तत्व आपके शरीर के लिए बेहद जरूरी हैं. तो अगर आप अपने नाश्ते में केले को शामिल करते हैं तो यह तय है कि दिन भर आप एनर्जी से भरपूर रहेंगे. मेक्रोबायोटिक न्यूट्रिशनिस्ट और हेल्थ प्रेक्टिशनर शिल्पा अरोड़ा के अनुसार, केले में काफी मात्रा में फाइबर होता है, जो देर तक पेट के भरे होने का अहसास कराता है और वजन कम करने में मदद करता है. साथ ही यह मीठे की क्रेविंग को भी कंट्रोल करता है और मेटाबॉलिज्म को स्ट्रॉन्ग बनाता है.
क्या कब्ज को ठीक करता है केला
मैक्रोबायोटिक न्यूट्रिशनिस्ट और हेल्थ कोच शिल्पा अरोड़ा के अनुसार – ” केले फाइबर और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, जो आंत की लाइनिंग को प्रोटेक्ट करते हैं. यह एक ऐसा फल है जो आपकी आंत तक हेल्दी बैक्टिरया पहुंचाता है. फाइबर आंत से ऑक्सिन को बाहर करने का काम करता है जो कब्ज को कंट्रोल करता है. हमें यह जान लेने की जरूरत है कि केले से कब्ज को खत्म किया जा सकता है. लेकिन इसके साथ ही साथ आपको ऐसे आहार का सेवन भी कम करना होगा जो कब्ज के लिए कारक के तौर पर काम करता है. खाने में बिस्कुट, ब्रेड और ऐसा हर आहार जो रिफाइन शुगर से तैयार किया गया हो हटा देना चाहिए.
कच्चा या पका केला, कौनसा है बेहतर
कच्चे केले कब्ज की शिकायत को बढ़ा सकते हैं क्योंकि उनमें स्टार्च का स्तर बहुत ज्यादा होता है, जो शरीर के लिए पचा पाना मुश्किल होता है. इसलिए पका हुआ केला पाचन के लिए हमेशा अच्छा माना जाता है. यही वजह है कि पका पीला केला लेना हमेशा बेहतर विकल्प माना जाता है. कच्चा केला आम तौर पर बच्चों में अतिसार या डायरिया में राहत दिलाने के काम लिया जाता है. जैसे ही केला पकता है उसमें मौजूद स्टार्च भी कम होता है और यह शुगर में बदल जाता है. पके हुए केले फाइबर से भरपूर होते हैं, तो यह कब्ज से राहत दिलाने में बेहतर साबित होते हैं. फाइबर पानी को ऑब्जर्व करता है जो मल त्याग को आसान बनाता है.
क्या पका केला नवजात बच्चों के लिए होता है अच्छा…
- पीडिअट्रिशन डॉक्टर दीपक बंसल के अनुसार – ”डब्ल्यूएचओ के अनुसार बच्चों को जन्म के 6 महीने बाद तक स्तनपान कराना चाहिए. छह महीने के बाद हल्का ऊपरी आहार शुरू कर देना चाहिए.
- बच्चों के लिए केला एक बहुत ही अच्छा ऊपरी आहार सबित होता है.
- बच्चे के 6 महीने का होने के बाद आप उसे केला देना शुरू कर सकते हैं. क्योंकि केला बहुत ही नर्म होता है तो इसके गले में अटकने का खतरा भी नहीं होता और इसे मैश करना भी आसान है.
- क्योंकि इसमें खूब सारा फाइबर होता है तो यह बच्चे के पेट के लिए भी अच्छा रहता है और बच्चा काफी देर तक भूख का अहसास नहीं करता.
- फाइबर होने के चलते ही यह बच्चे के मल को भी सामान्य रखने में मदद करता है. आप चाहें तो केले को मैश कर उसमें दूध या दही मिला कर बच्चे को दे सकते हैं. कुछ बच्चों को केले से एलर्जी हो सकती है. ऐसे में आप अपने डॉक्टर से बात करें.”
दोनों का ही अपना अलग-अलग महत्व है
पके और कच्चे केले, दोनों का ही अपना अलग-अलग महत्व है. अतिसार या डायरिया (अग्रेज़ी: Diarrhea) की स्थिति में कच्चा केला सबसे अच्छा साबित होता है. वहीं कब्ज की स्थित में पका हुआ केला बेहतर होता है. तो अपनी जरूरत के हिसाब से केले को अपने आहार में शामिल करें.