#Mahashivaratri : शुभ मुहूर्त के साथ जानें पूजन विधि
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#Mahashivaratri : शास्त्रों के अनुसार शिव ही सांसारिक सुखों का आधार हैं। सांसारिक इच्छाओं का मूल हैं हर व्यक्ति के मन में धन संपन्नता व भौतिक सुखों को बंटोरने का भाव आता है, जिसे पूरा करने हेतु वह धार्मिक उपाय चुनता है।
ज्योर्तिलिंग का उदभव भी महाशिवरात्रि पर्व पर माना जाता है
- मंगलवार दि॰ 13.02.18 को फाल्गुन मास की प्रदोष व्यापीनी कृष्ण चतुर्दशी के उपलक्ष्य में महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाएगा।
- पौराणिक मान्यतानुसार महाशिवरात्रि पर्व वैदिक काल से ही मनाया जाता है।
- इस व्रत व पर्व का पालन देवी लक्ष्मी, सरस्वती, गायत्री, सीता, पार्वती व रति ने विधिवत किया था।
- फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाने वाली महाशिवरात्रि शिव-शक्ति के मिलन का पर्व है।
- मान्यतानुसार महाशिवरात्रि के प्रदोषकाल में शंकर-पार्वती का विवाह हुआ था। प्रदोष काल में महाशिवरात्रि तिथि में सर्व ज्योतिर्लिंगों का प्रादुर्भाव हुआ था।
- शास्त्रनुसार सर्वप्रथम ब्रह्मा व विष्णु ने महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पूजन किया था।
- पौराणिक मान्यतानुसार दिव्य ज्योर्तिलिंग का उदभव भी महाशिवरात्रि पर्व पर माना जाता है व इसी दिन को ही शिव उत्पत्ति के रूप में मानते हैं।
- महाशिवरात्रि की उपासना तन, मन और धन से जुड़ी कामनाओं में आने वाली बाधाओं को दूर करती है। दु:ख, दरिद्रता व धन के अभाव को दूर कर धन, संतान, निरोगी काया प्रदान कर वैभवशाली व संपन्न बनाती है।
मुहूर्त विशेष
आज मंगलवार दि॰ 13.02.18 को महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में रात्रि जागरण, रात्रि पूजन व व्रत का पालन किया जाएगा। चतुर्दशी तिथि दी॰ 13.02.18 को रात 22:34 से प्रारंभ होकर अगले दिन बुधवार दि॰ 14.02.18 को रात 00:46 तक रहेगी। अतः महा शिवरात्रि के व्रत का पारण बुधवार दि॰ 14.02.18 को प्रातः 07:04 से शाम 15:20 तक रहेगा। अतः बुधवार दि॰ 14.02.18 को चतुर्दशी के उपलक्ष्य में शिवालयों व मंदिरों में विशेष पूजा अभिषेक व अर्चन किया जाएगा परंतु शिवरात्रि व्रत, जागरण व निशीथ पूजन मंगलवार दि॰ 13.02.18 को ही मान्य होगा।
प्रदोष काल पूजन मुहूर्त: शाम 18:05 से रात 21:20 तक।
संधि काल पूजन मुहूर्त: रात 22:00 से रात 23:00 तक। (त्रियोदशी का चतुर्दशी से मिलन)
निशीथ काल पूजन मुहूर्त: रात 00:09 से रात 01:01 तक।
विशेष पूजन विधि: शिवरात्रि के प्रदोष काल में शिवलिंग को जल, दूध, बिल्वपत्र और सफेद आंकड़ा समर्पित करें तत्पश्चात शिवलिंग पर धूप, दीप गंध, पुष्प दूध, अक्षत, धतूरा, बिल्वपत्र व नैवेद्य अर्पित कर पंचोपचार पूजन करें तथा चंदन की माला से इस विशेष मंत्र का 1 माला जाप करें। पूजन के बाद नैवेद्य सभी में वितरित कर दें।
पूजन मंत्र: श्रीं शितिकण्ठाय नमः शिवाय श्रीं॥
उपाय
- निरोगी काया की प्राप्ति हेतु शिवलिंग पर शहद से अभिषेक करें।
- दरिद्रता से मुक्ति हेतु शिवलिंग पर चढ़ा चांदी का सिक्का तिजोरी में रखें।
- धन के अभाव से मुक्ति हेतु शिवलिंग पर चढ़े सिंदूर से घर के मेन गेट पर “श्रीं” लिखें।