#HinduNavVarsh : क्यों मनाया जाता है चैत्र नवरात्रि के दिन हिंदू नव वर्ष…
#HinduNavVarsh : चैत्र माह के पहले दिन हिंदू नव वर्ष मनाया जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह हिंदू नव वर्ष मार्च-अप्रैल के महीने से आरंभ आता है. यह हिंदू नव वर्ष हिंदू कैलेंडर के मुताबिक मनाया जाता है. इसे विक्रम संवत या नव संवत्सर कहा जाता है. 60 तरह संवत्सर होते हैं. विक्रम संवत में यह सभी संवत्सर शामिल रहते हैं. मान्यता है कि हिंदू नव वर्ष की शुरूआत हालांकि विक्रमी संवत के उद्भव को लेकर विद्वान एकमत नही हैं लेकिन अधितर 57 ईसवीं पूर्व ही इसकी शुरुआत मानते हैं.
कब आता है हिंदू नव वर्ष
हिंदू नव वर्ष चैत्र मास की प्रतिपदा के दिन मनाया जाता है. इस दिन से चैत्र नवरात्रि की शुरूआत होती है. महाराष्ट में इस दिन को गुड़ी पड़वा कहा जाता है और दक्षिण भारत में इसे उगादि कहा जाता है.
कैसे मनाया जाता है हिंदू नव वर्ष
हिंदू नववर्ष के दिन घरों में पकवान बनते हैं. क्योंकि इस दिन नवरात्रि की शुरुआत होती है, इस वजह से नए साल की शुरूआत मीठे से होती है. वहीं, महाराष्ट्र में इस दिन पुरन पोली बनाया जाता है. साथ ही कई घरों में इस दिन पंचाग पढ़ा जाता है. आने वाले साल के बारे में जाना जाता है, जिनका आने वाला साल भारी होता है वो दान-पुण्य के कामों की शुरुआत करते हैं.
जानिए हिंदू वर्ष के 60 संवत्सरों के नाम
- प्रभव
- विभव
- शुक्ल
- प्रमोद
- प्रजापति
- अंगिरा
- श्रीमुख
- भाव
- युवा
- धाता
- ईश्वर
- बहुधान्य
- प्रमाथी
- विक्रम
- वृषप्रजा
- चित्रभानु
- सुभानु
- तारण
- पार्थिव
- अव्यय
- सर्वजीत
- सर्वधारी
- विरोध
- विकृति
- खर
- नंदन
- विजय
- जय
- मन्मथ
- दुर्मुख
- हेमलंबी
- विलंबी
- विकारी
- शार्वरी
- प्लव
- शुभकृत
- शोभकृत
- क्रोधी
- विश्वावसु
- पराभव
- प्ल्वं
- कीलक
- सौम्य
- साधारण
- विरोधकृत
- परिधावी
- प्रमादी
- आनंद
- राक्षस
- आनल
- . पिंगल
- कालयुक्त
- सिद्धार्थी
- रौद्र
- दुर्मति
- दुन्दुभी
- रूधिरोद्गारी
- रक्ताक्षी
- क्रोधन
- क्षय