Adhik Maas 2023: इस वर्ष दो श्रावण मास हो रहे हैं। श्रावण चार जुलाई से लेकर अगले मास 31 अगस्त तक रहेगा। मध्य में (अधिक मास) श्रावण का एक महीना अधिक हो रहा है। अधिकमास को अधिमास, संसर्पमास, पुरुषोत्तममास, मलमास, असंक्रांतिमास, मलिम्लुच मास आदि नामों से भी जाना जाता है।
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अधिक मास 18 जुलाई से 16 अगस्त तक रहेगा। 19 वर्ष पूर्व 2004 में भी इसी प्रकार की स्थिति थी। उस समय भी अधिक मास श्रावण में ही हुआ था, जो 18 जुलाई से 16 अगस्त तक था।
ज्योतिष शास्त्र की गणना अनुसार सौरमंडल का ब्रह्मांड 360 अंशों का है। इसकी एक परिक्रमा सूर्य एक वर्ष में कुल 365 दिन एवं छह घंटे में पूर्ण करता है, जबकि चंद्रमा 354 दिन पांच घंटे में पूर्ण करता है। अतः सौर वर्ष एवं चांद वर्ष की पूर्ति में 11 दिनों का अंतर आ जाता है। तब तीसरे वर्ष की पूर्ति होने में कुल 36 दिन का अंतर हो जाता है। सौर मास एवं चांद्रमास के संतुलन हेतु भारतीय कालविदों ने 32 माह तथा 16 दिनों के बाद अधिक मास की स्थापना की है। प्रत्येक चांद्रमास में एक सूर्य की संक्रांति हो जाती है, किंतु जिस चांद्रमास में सूर्य संक्रांति नहीं होती, दूसरा चांद्रमास आरंभ हो जाता है, उसी को अधिक मास कहते हैं.
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मांगलिक विवाहादि कार्यों को वर्जित किया गया है…
इस मास में सभी प्रकार के मांगलिक विवाहादि कार्यों को वर्जित किया गया है। इस दौरान सभी धार्मिक कृत्य यथा- पुराणों का श्रवण, भगवान की कथा वार्ता, गुणानुवाद, व्रत, स्नान, दान, भगवान शिव का पार्थिव पूजन, ज्योतिर्लिंग का पूजन, जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, शिवार्चन, संकीर्तन, पूजन, भजन आदि करने का विधान है। भगवान शिव की उपासना, पुराण श्रवण तथा भगवन्नाम संकीर्तन से सभी अमंगल दूर हो जाते हैं।
चान्द्रोमासोह्यसंक्रान्तो मलमासः प्रकीर्तितः।
इसी को मलमास या पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। पुराणों के अनुसार, सभी महीनों के स्वामी हैं, किंतु इस 13वें अधिक मास का कोई स्वामी नहीं था। अतः मलमास भगवान श्रीकृष्ण से गोलोक में प्रार्थना करते हुए रुदन करने लगा। तब प्रसन्न होकर भगवान श्रीकृष्ण ने इसे स्वीकार करके अपना नाम प्रदान करते हुए पुरुषोत्तम नाम दिया और स्वयं इसके स्वामी हो गए। तभी से इस मास को पुरुषोत्तम कहा जाने लगा।
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