Ashwin Navpad Oli Date: जैन कैलेण्डर के आधार पर नवपद ओली का पर्व साल में 2 बार मनाया जाता है। पहला चैत्र माह वहीं, दूसरा नवपद ओली आश्विन माह में मनाया जाता है। Navpad Oli 2023
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यह त्योहार शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि से पूर्णिमा तक मनाया जाता है। ऐसे में जानते हैं कि यह पर्व जैन धर्मावलंबियों के लिए नवपद ओली का महत्व।
इसलिए मनाया जाता है नवपद ओली पर्व (Ashwin Navpad Oli Date)
जैन धर्म में नौ सर्वोच्च पद माने गए हैं जो इस प्रकार हैं – अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु, सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चरित्र और सम्यक तप। नवपद ओली पर्व इन्हीं सिद्ध चक्र के नौ पदों के लिए समर्पित है। इस दौरान जैन समाज के लोग नौ दिनों तक आयंबिल तप का पालन करते हैं। आयंबिल असल में एक प्रकार का उपवास है, जिसमें साधक दिन में केवल एक बार उबला हुआ अनाज खाते हैं। यह भोजन बिना नमक, चीनी, तेल और मसालों के होता है।
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ऐसे होता है ओली तप
आयंबिल शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – आयाम और अम्ल। आयाम का अर्थ है – समस्त और वहीं अम्ल का अर्थ है रस। इस प्रकार आयंबिल का अर्थ हुआ – समभाव की साधना करना और रस का परित्याग करना। जैन धर्म में नवपद ओली की आराधना बहुत ही शुद्ध भाव से की जाती है। सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच सिर्फ एक बार, एक आसन पर और निश्चित समय पर भोजन किया जाता है।
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यह भोजन बगैर तला, बिना दूध, दही, मक्खन, घी, मलाई, तेल, चीनी और मसाले का होता है। यह भोजन पांच अनाज- गेहूं, चावल, चना, मूंग और उड़द, आदि को उबालकर तैयार किया जाता है। इसी सादे भोजन करने को आयंबिल कहा जाता हैं। साथ ही इसमें सूर्यास्त तक गर्म पानी का सेवन किया जाता है।
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