ATM interchange Fee: ATM से पैसा निकालना 1 मई, 2025 से आपकी जेब पर भारी पड़ सकता है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एटीएम इंटरचेंज फीस में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है. ATM interchange Fee
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इसके चलते होम बैंक नेटवर्क के बाहर एटीएम (ATM) का यूज करने वाले ग्राहकों के लिए कैश निकालना या बैलेंस चेक करना अब थोड़ा महंगा हो जाएगा.
इतनी है फ्री ट्रांजैक्शन लिमिट (This is the free transaction limit)
ये चार्ज आपसे तभी वसूले जाएंगे जब आप महीने में फ्री ट्रांजैक्शन की लिमिट को पार कर जाएंगे. मेट्रो सिटीज में होम बैंक के अलावा दूसरे बैंक के एटीएम से फ्री ट्रांजैक्शन की लिमिट पांच है, जबकि नॉन मेट्रो सिटीज में फ्री ट्रांजैक्शन की लिमिट तीन है. नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के प्रस्ताव को रिजर्व बैंक ने हरी झंडी दिखा दी है. दरअसल, व्हाइट लेबल एटीएम ऑपरेटर फीस बढ़ाने की बात कह रहे थे. उनका तर्क था कि बढ़ती परिचालन लागतों को देखते हुए पुरानी फीस काफी नहीं है.
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क्या होता है व्हाइट लेबल एटीएम? (What is a White Label ATM)
रिजर्व बैंक की तरफ से व्हाइट लेबल एटीएम पेमेंट एंड सेटेलमेंट सिस्टम एक्ट 2007 के तहत लगाए गए. देश के कई दूर-दराज के हिस्सों और छोटे कस्बों में एटीएम की पहुंच बढ़ाने के मकसद से इसे शुरू किया है. इसमें किसी बैंक का बोर्ड नहीं लगा होता है. इसमें डेबिट/क्रेडिट कार्ड से पैसे निकालने के साथ-साथ बिल पेमेंट, मिनी स्टेटमेंट, चेक बुक रिक्वेस्ट, कैश डिपॉजिट जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध हैं.
छोटे बैंकों पर होगा ज्यादा असर (Small banks will be more affected)
छोटे बैंकों पर इसका ज्यादा असर पड़ेगा। कारण है कि वे अपने सीमित एटीएम नेटवर्क के कारण दूसरे बैंकों के एटीएम पर ज्यादा निर्भर रहते हैं। इंटरचेंज फीस बढ़ने से ग्राहकों पर सीधा असर पड़ेगा। इंटरचेंज फीस वह रकम है जो एक बैंक दूसरे बैंक को तब देता है जब कोई ग्राहक दूसरे बैंक का एटीएम इस्तेमाल करता है।
ज्यादा चार्ज लगने से बचने के लिए एटीएम का ज्यादा इस्तेमाल करने वाले लोग अपने बैंक के एटीएम का इस्तेमाल कर सकते हैं। वे डिजिटल पेमेंट के तरीके भी अपना सकते हैं।
1 मई से इतना बढ़ जाएगा ATM ट्रांजैक्शन चार्ज?
कैश निकालने का चार्ज: 17 रुपये → 19 रुपये प्रति ट्रांजैक्शन
बैलेंस इंक्वायरी फीस: 6 रुपये → 7 रुपये प्रति ट्रांजैक्शन
कब किन पर लागू होगा?
1 मई 2025 से यह नियम उन लोगों पर लागू होगा जो महीने में मिलने वाली मुफ्त लिमिट से ज्यादा ट्रांजैक्शन करते हैं। मेट्रो शहरों में पांच और नॉन-मेट्रो शहरों में तीन मुफ्त ट्रांजैक्शन मिलते हैं।