AYODHYA RAM MANDIR PRAN PRATISHTHA : 31 वर्षों तक टेंट व अस्थायी मंदिर में रहने के बाद रामलला (Ram Lalla) शनिवार को नए मंदिर में पहुंचे गए। सुबह वैदिक मंत्रों से रामलला को अस्थाई मंदिर में जगाया गया फिर उसे नए मंदिर में पूजन स्थल पर लाकर विराजित किया गया। AYODHYA RAM MANDIR PRAN PRATISHTHA
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नए मंदिर में विराजमान रामलला पहुंचे तो उनका भव्य स्वागत हुआ। पहले उनकी विधिवत पूजा की गई, फिर भव्य शोभायात्रा निकाली गई। विराजमान रामलला ने नवनिर्मित मंदिर का दौरा किया। इस दौरान पूरा मंदिर वेदमंत्रों से गूंजता रहा। AYODHYA RAM MANDIR PRAN PRATISHTHA
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शोभायात्रा में मुख्य यजमान समेत सैकड़ों की संख्या में वैदिक आचार्य व परिसर में मौजूद भक्त शामिल रहे। पालकी में सवार विराजमान रामलला पर जगह-जगह पुष्पवर्षा की गई। इसके बाद उन्हें पुन: यज्ञमंडप में स्थापित कर अधिवास की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इससे पहले शनिवार की सुबह अनुष्ठानों का शुभारंभ गणपति पूजन से हुआ। इसके बाद रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे। रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम:…मंत्र से श्रीराम की स्तुति की गई। इसके बाद मंडप के सारे आवाहित देवताओं का पूजन हुआ।
इसी क्रम में रामलला के अचल विग्रह को जगाया गया। फिर अधिवास प्रारंभ हुआ। शक्कर, फल, अनाज व पुष्प में रखकर अधिवास की प्रक्रिया पूरी की गई। शाम को मंडप में सभी देवताओं का नित्य की तरह होम-हवन किया गया। भगवान राम के निमित्त 11 हजार मंत्रों का जप भी हुआ। वेद के द्वारपालों ने वेदों का पाठ किया। शनिवार को हुए अनुष्ठान में मुख्य यजमान डॉ़ अनिल मिश्र के अलावा विश्व हिंदू परिषद के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार भी मौजूद रहे।
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81 कलशों के जल से हुआ रामलला का अभिषेक
अनुष्ठान की कड़ी में रामलला के अचल विग्रह का औषधियुक्त 81 कलशों के जल से अभिषेक किया गया। इसी क्रम में रामलला के नए प्रासाद यानि महल का अधिवासन किया गया। जल से पूरे महल को स्नान कराया गया। आचार्य अरुण दीक्षित ने बताया कि वास्तुशांति की प्रक्रिया में यह अधिवासन किया जाता है। महल के कोने-कोने में देवताओं का वास होता है। दरवाजे, स्तंभ, ड्योढ़ी, सीढ़ी, पत्थर सब में देवता होते हैं इसलिए सभी को स्नान कराकर वास्तुशांति की प्रार्थना की गई।
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