Bhishma Ashtami 2025: इस साल 5 फरवरी को भीष्म अष्टमी (Bhishma Ashtami 2025) है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन के बाणों से भीष्म पितामह घायल हो गए थे। उस समय सूर्य दक्षिणायन में थे। Bhishma Ashtami 2025
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अतः भीष्म पितामह ने अपने प्राण का त्याग नहीं किया था। सूर्य के उत्तरायण होने के बाद भीष्म पितामह ने माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि (Ashtami 2025) को अपने शरीर का त्याग किया था।
जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अपने परम शिष्य अर्जुन को गीता ज्ञान के दौरान कहा था कि सूर्य के उत्तरायण होने और शुक्ल पक्ष के दौरान सूर्य की रोशनी में शरीर त्यागने वाले साधु-संतो को पुनः पृथ्वी लोक पर नहीं आना होता है। वहीं, सूर्य के दक्षिणायन और कृष्ण पक्ष के दौरान रात्रि में प्राण त्यागने वाले व्यक्ति को चंद्र लोक में स्थान मिलता है। व्यक्ति को चंद्र लोक से पुनः धरती लोक पर आना होता है। अतः भीष्म पितामह ने घायल होने के बाद दक्षिणायन सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया था।
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आत्मा के कारक सूर्य देव मकर संक्रांति के दिन यानी सूर्य गोचर करने की तिथि पर उत्तरायण होते हैं। इस तिथि से सूर्य देव उत्तरायण में आगे बढ़ते हैं। यह समय देवताओं का होता है। इस दौरान जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
धर्म पंडितों की मानें तो भीष्म अष्टमी पर एकोदिष्ट श्राद्ध करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन व्यक्ति अपने पितरों का भी श्राद्ध कर सकते हैं। शास्त्रों में वर्णित है कि कोई भी व्यक्ति एकोदिष्ट श्राद्ध कर सकता है। ऐसा करने से व्यक्ति विशेष पर पितरों की कृपा बरसती है। भीष्म पितामह की मृत्यु के बाद पांडवों ने उनका श्राद्ध कर्म किया था।
अस्वीकरण: ”इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। JAIHINDTIMES यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है।