BIKRU SCANDAL : मुकदमें दर्ज होने के बाद भी KANPUR चर्चित बिकरू कांड (BIKRU SCANDAL) के गैंगस्टर विकास दुबे (VIKAS DUBEY) और उसके करीबियों के असलहों के रिन्यूवल में फंसे तत्कालीन बिल्हौर एसडीएम और तहसीलदार दोषमुक्त हो गए हैं।
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जांच के दौरान असलहों के रिन्यूवल में दोनों की भूमिका नहीं मिली है। एसआईटी की संस्तुति, शासन के आदेश पर सीडीओ ने जांचकर रिपोर्ट मंडलायुक्त को भेजी है। सीडीओ (CDO) सुधीर कुमार ने बताया कि एसआईटी के आदेश पर शासन से एसडीएम और तहसीलदार के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए थे। कमिश्नर कार्यालय से जांच मिली थी। जांच में विकास दुबे और उसके करीबियांे के रिन्यूवल में कोई दोष साबित नहीं हुआ है।
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चर्चित बिकरू कांड में VIKAS DUBEY के कांड के बाद जारी असलहा लाइसेंस पर एसआईटी जांच बैठ थी। जांच में पाया गया कि विकास दुबे और उसके गुर्गों के पर कई मुकदमों के बाद भी असहला रिन्यूवल होता रहा। एसआईटी ने तत्कालीन एसडीएम प्रह्लाद सिंह और तहसीलदार राकेश कुमार गुप्ता को दोषी माना था। प्रह्लाद सिंह रिटायर हो चुके हैं। एसआईटी की जांच रिपोर्ट के बाद शासन ने दोनों की जांच कराने और का आदेश कमिश्नर को दिया था। कमिश्नर ने इसकी जांच सीडीओ सुधीर कुमार को सौंपी थी। इसमें दोनों के लिखित बयान दर्ज किए गए। जांच में पाया गया कि पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर ही तहसील की रिपोर्ट लगती है। विकास दुबे और उसके गुर्गे पर दर्ज मुकदमे से एसडीएम और तहसीलदार को कोई लेना देना नहीं है। उनका राजस्व से मतलब है। रिन्यूवल में संपत्ति से कोई मतलब नहीं है। यह सिर्फ मुकदमों का आधार होता है। साथ ही अन्य जांचों में भी एसडीएम और तहसीलदार की भूमिका नहीं मिली।