प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष आर शुक्ल पक्ष में दो एकादशी व्रत रखे जाते हैं। बता दे कि हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है और परिवार के कल्याण की प्रार्थना की जाती है।
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Utpanna Ekadashi 2022: उत्पन्ना एकादशी पर जरूर करें इन नियमों का पालन
by ARTI PANDEYby ARTI PANDEY -
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Calendar 2023: जनवरी से दिसंबर माह तक पड़ रहे हैं कौन-कौन से व्रत त्योहार, लिस्ट
by ARTI PANDEYby ARTI PANDEYसाल 2023 में कई बड़े व्रत त्योहार पड़ने वाले हैं। जानिए साल 2023 में जनवरी से लेकर दिसंबर तक में कब कौन सा व्रत और त्योहार पड़ने वाले हैं।
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सनातन परंपरा में देवी-देवताओं की पूजा में प्रयोग किए जाने वाले तिलक का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है. ईश्वर की पूजा का अभिन्न अंग माना जाने वाला तिलक, अलग-अलग देवताओं के लिए अलग-अलग प्रकार का प्रयोग में लाया जाता है.
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एकादशी (Ekadashi) को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन एकादशी माता का जन्म हुआ था, इसलिए इसे उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन माता एकादशी ने मुर नामक राक्षस का अंत किया था।
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Shaligram Puja: घर में रखा है शालिग्राम तो इन नियमों का रखें ख्याल
by ARTI PANDEYby ARTI PANDEYशालिग्राम भगवान विष्णु का विग्रह रूप होता है। शालिग्राम करीब 33 प्रकार के है, जिनमें से 24 प्रकार के शालिग्राम (Shaligram) को भगवान विष्णु के 24 अवतारों से संबंधित माना जाता है। माना जाता है कि जिस घर में शालिग्राम होता है और विधिवत तरीके से पूजा अर्चना की जाती है। वहां पर कभी भी दुख दर्द वास नहीं करता है। लेकिन अगर शालिग्राम (Shaligram) संबंधी कुछ नियमों का पालन नहीं किया गया को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
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भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी को चार माह के लिए सो जाते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं। श्रीहरि विष्णु इसी दिन राजा बलि के राज्य से चातुर्मास का विश्राम पूरा करके बैकुंठ धाम को लौटे थे। इस एकादशी को कई नामों से जाना जाता है। जैसे देवोत्थान एकादशी, देवउठनी ग्यारस, प्रबोधिनी एकादशी। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-आराधना से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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Dev Uthani Ekadashi 2022: व्रत कथा के बिना नहीं पूर्ण होती है भगवान विष्णु की पूजा
by ARTI PANDEYby ARTI PANDEYहर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी व्रत रखा जाता है। हिंदू धर्म में इसे प्रबोधनी एकादशी, देवोत्थान एकादशी, देवउठनी ग्यारस के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु के 4 महीने बाद योग निद्रा के उठने के उपलब्ध में रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है और उनसे परिवार के कल्याण की प्रार्थना की जाती है। इस वर्ष यह व्रत 4 नवंबर 2022, शुक्रवार (Dev Uthani Ekadashi) के दिन रखा जाएगा।
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Chhath Puja 2022: छठ में क्यों लगाती हैं महिलाएं लंबा सिंदूर, जानें…
by ARTI PANDEYby ARTI PANDEYछठ पर्व (Chhath Puja) इस साल 28 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक मनाया जा रहा है. छठ पर्व हर साल कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है. इस पूजा में व्रती 36 घंटे तक बगैर कुछ खाए-पिए व्रत रखती हैं. छठ (Chhath Puja) में विशेष तौर पर सूर्य और छठी माता की पूजा की जाती है. मान्यता है कि छठी माता की पूजा करने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है.
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छठ को बिहार का महापर्व माना जाता है। यह पर्व बिहार के साथ देश के अन्य राज्यों में भी बड़े धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। बिहार के मुंगेर में छठ पर्व का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार माता सीता ने सर्वप्रथम पहला छठ पूजन बिहार के मुंगेर में गंगा तट पर संपन्न किया था, जिसके बाद महापर्व की शुरुआत हुई।
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Chhath Puja 2022: खरना, जानें सूर्योदय- सूर्यास्त का समय और शुभ मुहूर्त
by ARTI PANDEYby ARTI PANDEYमाता महालक्ष्मी के प्रिय दिन शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय छठ व्रत शुरू हो गया। इसका समापन सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा। व्रति शनिवार को खरना का व्रत करेंगे। जबकि रविवार को प्रथम व सोमवार को द्वितीय अर्घ्य देकर पारण कर सूर्योपासना का चार दिवसीय अनुष्ठान संपन्न करेंगे।