भगवान शिव के आंसुओं से उत्पन्न हुए रुद्राक्ष को हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र और पूजनीय माना गया है। रुद्राक्ष (Rudraksh) दो शब्दों से बना है। जिसमें रूद्र का अर्थ है महादेव और अक्ष का अर्थ है आंसू। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किसी अध्यात्मिक कार्य में रुद्राक्ष का प्रयोग करने से सभी कार्य सफल हो जाते हैं और व्यक्ति पर महादेव की कृपा सदैव बनी रहती है।
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Ekadashi 2022: उत्पन्ना एकादशी पर बन रहे हैं दुर्लभ संयोग, जानिए…
by ARTI PANDEYby ARTI PANDEYउत्पन्ना एकादशी (Ekadashi 2022) का व्रत इस साल काफी खास होने वाला है। क्योंकि इस दिन एक नहीं बल्कि चार शुभ योग बन रहे हैं। पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखा जा रहा है।
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Utpanna Ekadashi 2022: उत्पन्ना एकादशी पर जरूर करें इन नियमों का पालन
by ARTI PANDEYby ARTI PANDEYप्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष आर शुक्ल पक्ष में दो एकादशी व्रत रखे जाते हैं। बता दे कि हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है और परिवार के कल्याण की प्रार्थना की जाती है।
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Calendar 2023: जनवरी से दिसंबर माह तक पड़ रहे हैं कौन-कौन से व्रत त्योहार, लिस्ट
by ARTI PANDEYby ARTI PANDEYसाल 2023 में कई बड़े व्रत त्योहार पड़ने वाले हैं। जानिए साल 2023 में जनवरी से लेकर दिसंबर तक में कब कौन सा व्रत और त्योहार पड़ने वाले हैं।
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सनातन परंपरा में देवी-देवताओं की पूजा में प्रयोग किए जाने वाले तिलक का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है. ईश्वर की पूजा का अभिन्न अंग माना जाने वाला तिलक, अलग-अलग देवताओं के लिए अलग-अलग प्रकार का प्रयोग में लाया जाता है.
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एकादशी (Ekadashi) को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन एकादशी माता का जन्म हुआ था, इसलिए इसे उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन माता एकादशी ने मुर नामक राक्षस का अंत किया था।
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Shaligram Puja: घर में रखा है शालिग्राम तो इन नियमों का रखें ख्याल
by ARTI PANDEYby ARTI PANDEYशालिग्राम भगवान विष्णु का विग्रह रूप होता है। शालिग्राम करीब 33 प्रकार के है, जिनमें से 24 प्रकार के शालिग्राम (Shaligram) को भगवान विष्णु के 24 अवतारों से संबंधित माना जाता है। माना जाता है कि जिस घर में शालिग्राम होता है और विधिवत तरीके से पूजा अर्चना की जाती है। वहां पर कभी भी दुख दर्द वास नहीं करता है। लेकिन अगर शालिग्राम (Shaligram) संबंधी कुछ नियमों का पालन नहीं किया गया को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
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भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी को चार माह के लिए सो जाते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं। श्रीहरि विष्णु इसी दिन राजा बलि के राज्य से चातुर्मास का विश्राम पूरा करके बैकुंठ धाम को लौटे थे। इस एकादशी को कई नामों से जाना जाता है। जैसे देवोत्थान एकादशी, देवउठनी ग्यारस, प्रबोधिनी एकादशी। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-आराधना से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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Dev Uthani Ekadashi 2022: व्रत कथा के बिना नहीं पूर्ण होती है भगवान विष्णु की पूजा
by ARTI PANDEYby ARTI PANDEYहर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी व्रत रखा जाता है। हिंदू धर्म में इसे प्रबोधनी एकादशी, देवोत्थान एकादशी, देवउठनी ग्यारस के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु के 4 महीने बाद योग निद्रा के उठने के उपलब्ध में रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है और उनसे परिवार के कल्याण की प्रार्थना की जाती है। इस वर्ष यह व्रत 4 नवंबर 2022, शुक्रवार (Dev Uthani Ekadashi) के दिन रखा जाएगा।
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Chhath Puja 2022: छठ में क्यों लगाती हैं महिलाएं लंबा सिंदूर, जानें…
by ARTI PANDEYby ARTI PANDEYछठ पर्व (Chhath Puja) इस साल 28 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक मनाया जा रहा है. छठ पर्व हर साल कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है. इस पूजा में व्रती 36 घंटे तक बगैर कुछ खाए-पिए व्रत रखती हैं. छठ (Chhath Puja) में विशेष तौर पर सूर्य और छठी माता की पूजा की जाती है. मान्यता है कि छठी माता की पूजा करने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है.