Chaitra Navratri 2024 Day 2 : चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri) के नौ दिनों तक, जगत की जननी मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्र के दूसरे दिन तप की देवी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा इसी तरह की जाती है। सनातन साहित्य में मां ब्रह्मचारिणी की महिमा की प्रशंसा की गई है। Chaitra Navratri 2024 Day 2
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मां ब्रह्मचारिणी बेहद कृपालु हैं। अपने अनुयायियों पर दया और कृपा करती हैं। धार्मिक मत है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से बल, बुद्धि और समृद्धि मिलती है। साथ ही सभी प्रकार के दुःख से छुटकारा मिलता है। अगर आप भी मां ब्रह्मचारिणी की कृपा पाना चाहते हैं, तो चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन मां की पूजा विधि-विधान से करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों एवं स्तोत्र का पाठ अवश्य करें। Chaitra Navratri 2024 Day 2
मां ब्रह्मचारिणी मंत्र
1. दधाना कर पद्माभ्यामक्ष माला कमण्डलु ।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ।।
2. या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
3. ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:
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मां दुर्गा मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
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देवी स्तोत्र
वन्दे वांच्छितलाभायचन्द्रर्घकृतशेखराम्।
जपमालाकमण्डलुधराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
गौरवर्णास्वाधिष्ठानास्थितांद्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
धवल परिधानांब्रह्मरूपांपुष्पालंकारभूषिताम्॥
पद्मवंदनापल्लवाराधराकातंकपोलांपीन पयोधराम्।
कमनीयांलावण्यांस्मेरमुखीनिम्न नाभि नितम्बनीम्॥
तपश्चारिणीत्वंहितापत्रयनिवारिणीम्।
ब्रह्मरूपधराब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
नवचक्रभेदनी त्वंहिनवऐश्वर्यप्रदायनीम्।
धनदासुखदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शंकरप्रियात्वंहिभुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदामानदा,ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्।
देवी कवच
त्रिपुरा में हृदयेपातुललाटेपातुशंकरभामिनी।
अर्पणासदापातुनेत्रोअर्धरोचकपोलो॥
पंचदशीकण्ठेपातुमध्यदेशेपातुमहेश्वरी॥
षोडशीसदापातुनाभोगृहोचपादयो।
अंग प्रत्यंग सतत पातुब्रह्मचारिणी॥
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