चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri) 13 अप्रैल से शुरू हो रहा है। इस बार कोई तिथि क्षय नहीं है। नवरात्र का पावन पर्व पूरे नौ दिनों तक मनाया जाएगा। समापन 21 अप्रैल को होगा। नवरात्र के साथ ही हिन्दू नववर्ष की शुरुआत भी होगी। नवरात्र (Navratri) में मां दुर्गा की पूजा जीवन में सुख समृद्धि और शांति लाती है। कलश स्थापना, जौ बोने, दुर्गा सप्तशती का पाठ करने, हवन और कन्या पूजन से मां प्रसन्न होती हैं। चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्र शुरू हो रहे हैं। चंद्रमा मेष राशि में रहेगा। अश्वनी नक्षत्र व स्वार्थसिद्ध और अमृतसिद्ध योग बन रहे हैं। अमृतसिद्धि योग में कोई कार्य शुरू करने पर शुभ फल मिलता है। साथ ही स्थायित्व की प्राप्ति होती है। वहीं स्वार्थ सिद्धि योग में जो भी कार्य किए जाते हैं वह बिना बाधा के पूर्ण होते हैं और सुख समृद्धि आती है।
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प्रथम नवरात्र में मां शैलपुत्री, द्वितीय में मां ब्रहाचारिणी, तृतीय में मां चन्द्रघण्टा, चतुर्थ में कूष्माण्डा, पंचम में मां स्कन्दमाता, षष्ठ में मां कात्यायनी, सप्तम में मां कालरात्री, अष्टम में मां महागौरी, नवम् में मां सिद्विदात्री के पूजन का विधान है।
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कलश स्थापना मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि चैत्र की प्रतिपदा तिथि 12 अप्रैल को प्रातः 8 बजे से शुरू होकर 13 अप्रैल को प्रातः 10: 16 पर समाप्त हो रही है। कलश स्थापना 13 अप्रैल को प्रातः 5:45 बजे से प्रातः 9:59 तक और अभिजीत मुहूर्त पूर्वाह्न 11: 41 से 12:32 तक है।
माता का घोड़े पर आगमन है अशुभ संकेत
इस बार चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri) का आरंभ मंगलवार से हो रहा है। मंगलवार के दिन मां दुर्गा का आगमन घोड़े पर होता है। जो कि शुभ नहीं है। घोड़े पर मां के आने से भय और युद्ध की स्थिति बनी रहेगी।
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