इसे अधिकमास या पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है
#AdhikMaas : 19 वर्षों बाद इस वर्ष पितृ पक्ष Pitri Paksha और नवरात्र के बीच एक मास अधिक पड़ रहा है। यही कराण है कि पितृ पक्ष Pitri Paksha और नवरात्र एक महीने का अंतर आ गया है। इसे अधिकमास AdhikMaas या पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है।
पौराणिक सिद्धांतों के अनुसार
इस मास के दौरान यज्ञ-हवन के अलावा श्रीमद् देवीभागवत, श्री भागवत पुराण, श्री विष्णु पुराण, भविष्योत्तर पुराण आदि का श्रवण, पठन, मनन करने का भी विशेष महत्व है। यह बेहद फलदायी होता है। अधिकमास AdhikMaas के अधिष्ठाता भगवान विष्णु हैं, इसीलिए इस पूरे समय में विष्णु मंत्रों vishnu mantra का जाप किया जाए तो यह लाभकारी होता है। इस मास में अगर व्यक्ति जमीन पर सोए और एक ही समय भोजन करे तो उसे अनंत फल प्राप्त होते हैं।
यह विशेष मंत्र देगा अक्षय पुण्य फल…
मंत्र : गोवर्धनधरं वन्दे गोपालं गोपरूपिणम्।
गोकुलोत्सवमीशानं गोविन्दं गोपिकाप्रियम्।।
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इनका करें दान…
कृष्ण पक्ष का दान…
- घी से भरा चांदी का दीपक
- सोना या कांसे का पात्र
- कच्चे चने
- खारेक
- गुड़, तुवर दाल
- लाल चंदन
- कर्पूर, केवड़े की अगरबत्ती
- केसर
- कस्तूरी
- गोरोचन
- शंख
- गरूड़ घंटी
- मोती या मोती की माला
- हीरा या पन्ना का नग
शुक्ल पक्ष का दान…
- माल पुआ
- खीर भरा पात्र
- दही
- सूती वस्त्र
- रेशमी वस्त्र
- ऊनी वस्त्र
- घी
- तिल गुड़
- चावल
- गेहूं
- दूध
- कच्ची खिचड़ी
- शक्कर व शहद
- तांबे का पात्र
- चांदी का नन्दीगण।
पितृ पक्ष की ही तरह अधिकमास AdhikMaas में कोई मुहूर्त नहीं होगा। मांगलिक कार्यों के लिए करना होगा इंतजार।
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