गुरुवार के दिन बृहस्पति देव का पूजन किया जाता है। इन्हें धन समृद्धि, पुत्र प्राप्ति और शिक्षा के दाता भी कहा जाता है। शास्त्रों में इनका व्रत और पूजन करना फलदायक माना गया है। आज हम बात करेंगे देव गुरू बृहस्पति की जो कि चार हाथों वाले स्वर्ण मुकुट तथा गले में सुंदर माला धारण किए हुए तथा पीले वस्त्र पहने हुए कमल आसन पर आसीन रहते हैं।mantra
पुराणों में इनके एेसे पांच विशिष्ठ मंत्रों के बारे बताया गया है जिसका जप तुलसी की माला से करने पर सभी प्रकार की इच्छाएं पूर्ण होती है।
देव गुरु बृहस्पति के पवित्र मंत्र
असुरों ने जब भी ऋषियों के यज्ञों में विघ्न डाला है या देवताओं को हराने का प्रयास किया है तब उनकी रक्षा के लिए देवगुरु बृहस्पति ने विशेष मंत्रों का प्रयोग कर असुरों का संहार किया और सदैव करते रहेंगे।
कहते हैं कि ज्ञान के सागर गुरू बृहस्पति देवताओं का पोषण एवं रक्षण हमेशा करते हैं। इसलिए गुरु बृहस्पति की विधिवत पूजा करने के बाद उनके इन दिव्य 5 मंत्रों का जप करना अधिक अनिवार्य माना जाता है।
मंत्र
ॐ देवानां च ऋषीणां च गुरुं का चनसन्निभम।
ॐ बुद्धि भूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पितम।
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।
ॐ बृं बृहस्पतये नम:।
ॐ अंशगिरसाय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि तन्नो जीव: प्रचोदयात्।