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चीफ जस्टिस बोले : देश पर दया करो, इंजीनियर मत बनो
ARTI PANDEY , Chandigarh
एनआईटी कुरुक्षेत्र मेंं बीटेक के 2009 बैच के छात्र ने जब अपनी लंबित 17 कंपार्टमेंट पास करने के लिए दया आधार पर मौके की अपील करने वाले छात्र को हाईकोर्ट ने जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि हमसे दया की अपील मत करो बस देश पर दया करो और इंजीनियर मत बनो। ऐसे इंजीनियरिंग की डिग्री ले भी ली तो जिस ईमारत में तार बिछाओगे उसमें आग लगना तय है।
- बीटेक के चार साल और चार साल के अतिरिक्त समय के बावजूद 17 कंपार्टमेंट वाले छात्र को फटकार
- दया आधार पर एक मौका देने की छात्र ने की थी हाईकोर्ट से अपील
- कोर्ट ने कहा ऐसे इंजीनियर बनोगे तो जिस ईमारत में तारें डालोगे वहां आग लगना तय है
- एनआईटी कुरुक्षेत्र में 2009 बैच में लिया था छात्र ने बीटेक में एडमिशन
चीफ जस्टिस की कोर्ट में हुआ पेश
याचिका दाखिल करने वाला छात्र खुद ही अपनी दलीले पेश करने के लिए चीफ जस्टिस की कोर्ट में पेश हुआ। याची ने बताया कि 2009 में उसे एनआईटी कुरुक्षेत्र में एडमिशन मिला था। इसके बाद चार वर्ष की डिग्री के दौरान उसकी कंपार्टमेंट रह गई थी जिसे क्लीयर करने के लिए उसे 4 वर्ष की मोहलत दी गई। इस दौरान निजी कारणों से वह कंपार्टमेंट क्लीयर नहीं कर सका। याची ने हाईकोर्ट से अपील की कि उसे एक मौका दिया जाए तो वह सभी कंपार्टमेंट क्लीयर कर लेगा। चीफ जस्टिस कृष्ण मुरारी ने छात्र को जमकर फटकार लगाते हुए कहा कि देश के संसाधनों को नुक्सान पहुंचाने वालों से कोर्ट को कोई सहानुभूति नहींं है। कोर्ट ने याची से कहा कि क्या उसे अंदाजा भी है कि जिस एक सीट को उसने चार साल तक व्यर्थ किया उसपर सरकार का कितना पैसा खर्च हुआ होगा। यह पैसा उसके द्वारा दी गई फीस से कई गुना ज्यादा है जो आम लोगों के खून पसीने की कमाई से किया गया है। याची ने कहा कि वह दया की अपील करता है इसपर हाईकोर्ट ने कहा कि आप इस कोर्ट पर दया करो कि इसका कीमती समय न खराब करो और इंजीनियर न बनकर देश पर दया करो। कोर्ट ने कहा कि जब 9 साल में इंजीनिरिंग पूरी नहीं कर पाए तो एक मौके में 17 कंपार्टमेंट कैसे क्लीयर करोगे। कोर्ट ने याची को सलाह दी कि कोई अन्य प्रोफेशन चुन ले चाहे तो वकालत कर ले लेकिन इंजीनियरिंग न करे।
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