Choti Diwali : सनातन धर्म में नरक चतुर्दशी पर्व का विशेष महत्व है। नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi 2024) को छोटी दिवाली, रूप चौदस जैसे कई नामों से जाना जाता है। इस साल यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाएगा।
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इस दिन मृत्यु के देवता यमराज का पूजन किया जाता है और मान्यता है कि यह पूजा मृत्यु के बाद नरक में जाने से बचने का उपाय है. धनतेरस के अगले दिन ही नरक चतुर्दशी यानि छोटी दिवाली मनाई जाती है जो कि इस साल 11 नवंबर 2024 को है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली क्यों कहते हैं और यह पर्व क्यों मनाया जाता है? Choti Diwali 2024
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महत्व
छोटी दिवाली (Choti Diwali) को नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) भी कहा जाता है मान्यता है कि इस दिन यम की पूजा करने से अकाल मृत्यु का खतरा टल जाता है. कहते हैं कि इस दिन सुबह-सवेरे स्नान करने के बाद भगवान कृष्ण की पूजा करने से रूप सौंदर्य की प्राप्ति होती है. ऐसी भी मान्यता है कि राम भक्त हनुमान ने माता अंजना के गर्भ से इसी दिन जन्म लिया था. इस दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाती है.
छोटी दीपावली और नरक चतुर्दशी
धनतेरस के एक दिन बाद और दिवाली से एक दिन पहले नरक चतुदर्शी और छोटी दिवाली (Choti Diwali) मनाई जाती है. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार नरक चतुर्दशी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आती है. नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह दिवाली से एक दिन पहले आती है और इस दिन भी घरों में दीपक जलाए जाते हैं. हालांकि, नरक चतुर्दशी के दिन अभ्यंग स्नान करने का शुभ समय सुबह 4 बजे है.
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जानते हैं कई तरह के नामों से…
(Narak Chaturdashi) या फिर यम चतुर्दशी और रुप चतुर्दशी या रुप चौदस इसे कई तरह के नामों से जानते हैं. ये पर्व नरक चौदस और नरक पूजा के नाम से भी जाना जाता है. लेकिन लोग इसे छोटी दिवाली के तौर पर मनाते हैं, इस दिन यमराज की पूजा करते हैं और साथ ही व्रत रखते हैं. इस दिन पूजा करने से नरक जानें से आपको मुक्ति मिलती है.
”यम देव की आरती”
धर्मराज कर सिद्ध काज,
प्रभु मैं शरणागत हूँ तेरी ।
पड़ी नाव मझदार भंवर में,
पार करो, न करो देरी ॥
॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥
धर्मलोक के तुम स्वामी,
श्री यमराज कहलाते हो ।
जों जों प्राणी कर्म करत हैं,
तुम सब लिखते जाते हो ॥
अंत समय में सब ही को,
तुम दूत भेज बुलाते हो ।
पाप पुण्य का सारा लेखा,
उनको बांच सुनते हो ॥
भुगताते हो प्राणिन को तुम,
लख चौरासी की फेरी ॥
॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥
चित्रगुप्त हैं लेखक तुम्हारे,
फुर्ती से लिखने वाले ।
अलग अगल से सब जीवों का,
लेखा जोखा लेने वाले ॥
पापी जन को पकड़ बुलाते,
नरको में ढाने वाले ।
बुरे काम करने वालो को,
खूब सजा देने वाले ॥
कोई नही बच पाता न,
याय निति ऐसी तेरी ॥
॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥
दूत भयंकर तेरे स्वामी,
बड़े बड़े दर जाते हैं ।
पापी जन तो जिन्हें देखते ही,
भय से थर्राते हैं ॥
बांध गले में रस्सी वे,
पापी जन को ले जाते हैं ।
चाबुक मार लाते,
जरा रहम नहीं मन में लाते हैं ॥
नरक कुंड भुगताते उनको,
नहीं मिलती जिसमें सेरी ॥
॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥
धर्मी जन को धर्मराज,
तुम खुद ही लेने आते हो ।
सादर ले जाकर उनको तुम,
स्वर्ग धाम पहुचाते हो ।
जों जन पाप कपट से डरकर,
तेरी भक्ति करते हैं ।
नर्क यातना कभी ना करते,
भवसागर तरते हैं ॥
कपिल मोहन पर कृपा करिये,
जपता हूँ तेरी माला ॥
॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥
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