अल्पसंख्यक विभाग के संयोजक असगर अली ने निलंबन को बताया गलत
कहा, प्रदेशाध्यक्ष अनुमोदन कर सकते हैं, निलंबित करने का अधिकार विभाग के राष्ट्रीय चेयरमैन के पास
RAHUL PANDEY
SHIMLA
प्रदेश #कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के संयोजक असगर अली को निलंबित करने के मामले में नया मोड़ आ गया है। असगर ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कार्रवाई को ही अनुचित करार दे दिया है। उनका कहना है कि प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप राठौर को मुझे निलंबित करने का अधिकार नहीं है। वह मुझे निलंबित करने का सिर्फ अनुमोदन कर सकते हैं। निलंबन का निर्णय लेने का अधिकार अल्पसंख्यक विभाग के राष्ट्रीय चेयरमैन के पास है। उनके आदेशों को मानने के लिए ही वह बाध्य है, इसलिए उनका निलंबन फर्जी है। असगर ने कहा कि उन्होंने कोई भी पार्टी विरोधी टिप्पणी नहीं की है। यह जानना व सवाल पूछना कांग्रेस कार्यकर्ताओं का अधिकार है कि पार्टी की ओर से लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए भेजे गए हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल क्या निजी कार्यों और परिवार सहित मंदिर जाने के लिए भी किया जा सकता है। एक तरफ तो पार्टी नेता संसाधनों की कमी का रोना रो रहे हैं और दूसरी तरफ आलाकमान की तरफ से भेजे गए हेलिकॉप्टर का गलत उपयोग किया जा रहा है। ऐसा करने वालों पर पार्टी हाईकमान को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। मैं आज भी अपनी उस बात पर कायम हूं कि प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दौरान मिली बड़ी हार की जिम्मेवारी नैतिक रूप से प्रदेश अध्यक्ष, प्रचार कमेटी के चेयरमैन व अन्य बड़े नेताओं को लेनी चाहिए। असगर ने कहा है कि पूरे मामले व जबरन निलंबन को अल्पसंख्यक विभाग के राष्ट्रीय चेयरमैन व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के संज्ञान में लाया जाएगा। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष हिमाचल में पार्टी को आगे बढ़ाने के बजाए खत्म करने का काम कर रहे हैं।
प्रदेशाध्यक्ष से ये पूछे सवाल
- लोकसभा चुनाव के दौरान सार्वजनिक मंचों से कांग्रेस के खिलाफ टिप्पणियां करने वाले नेताओं पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
- पूर्व सीएम पार्टी कार्यकर्ताओं को कबाड़ व गंद कहते हैं, उन पर कार्रवाई क्यों नहीं की।
- पूर्व सीएम ने कांग्रेस की चुनावी जनसभाओं में पीएम नरेंद्र मोदी व सीएम जयराम ठाकुर की तारीफ की। इससे पार्टी को चुनावों में नुकसान हुआ। पूर्व सीएम के विरुद्ध एक्शन क्यों नहीं लिया गया।
- पार्टी के लिए दिन-रात मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं को क्यों निशाना बनाया जा रहा है।
- पार्टी के किसी भी बड़े नेता ने अभी तक हार की नैतिक जिम्मेवारी क्यों नहीं ली।