सावधानी ही एकमात्र बचाव बताया जा रहा है
#Coronavirus: सौ से ज्यादा देशों को अपने चपेट में लेने वाले, सवा लाख से ज्यादा लोगों को संक्रमित करने वाले और करीब साढ़े चार हजार लोगों की जान लेने वाली कोरोना बीमारी महामारी घोषित हो चुकी है। अब तक इसका कोई मुकम्मल इलाज नहीं खोजा जा सका है। दवा बनने में महीनों लग सकते हैं जबकि टीके की अगले साल उम्मीद है। सावधानी ही एकमात्र बचाव बताया जा रहा है।
उत्पत्ति
2019 के आखिरी महीनों में चीन के वुहान शहर में जब इसका प्रकोप शुरू हुआ तो आदतन चीन ने इस मर्ज से जुड़ी खबरों को दबाना शुरू किया। जब पानी सिर से ऊपर बहने लगा तो इसके समुचित इलाज और निदान के कदम उठाए जाने शुरू हुए। इसी क्रम में इसकी पहचान की जाने लगी कि आखिर क्यों ऐसा हो रहा है? 23 जनवरी को वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के कोरोना वायरस के विशेषज्ञ शी झेंग ली ने पाया कि कोविड-19 की जीनोम सीक्वेंसिंग (आनुवंशिक अनुक्रम) चमगादड़ों में पाए जाने वाले वायरस (विषाणु) से 96.2 फीसद मिलती जुलती है और पिछले दिनों सार्स (सीवियर एक्यूट रिस्पेरेटरी सिंड्रोम) फैलाने वाले कोरोना वायरस से 79.5 फीसद मिलता है।
चाइनीज मेडिकल जर्नल के शोध में पता चला कि इस वायरस का जीनोम अनुक्रम 87.6 से 87.7 फीसद चीनी प्रजाति के एक अन्य चमगादड़ों (हार्सशू) से मिलता है। हालांकि अभी भी इस बात के पुख्ता प्रमाण नहीं मिले हैं कि यह महामारी इस छोटे से स्तनधारी की वजह से फैली है।
चमगादड़ है विशिष्ट
- चमगादड़ 60 अलग-अलग वायरसों का भंडार होता है
- इस जीव से आने वाले विषाणु कुछ गंभीर किस्म की बीमारियां फैलाते हैं
- चमगादड़ आपस में एक-दूसरे से इतने करीब रहते हैं कि विषाणुओं को आसानी से दूसरे तक जाने में सुविधा रहती है
उड़ान बनाती है महान
पांच दर्जन वायरसों के वाहक चमगादड़ आखिर इनसे महफूज कैसे रहते हैं? विशेषज्ञों की मानें तो लगातार उड़ते रहने से शारीरिक कार्यप्रणाली इनके प्रतिरक्षी तंत्र को बहुत मजबूत बना देती है। इनका प्रभावी प्रतिरक्षी तंत्र इन्हें ऐसे खतरनाक विषाणुओं के साथ रहने में मददगार बनाता है। इनकी यह खूबी विषाणुओं को भी और मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाती है।
पर्यावरण में भूमिका
चमगादड़ पर्यावरण के लिहाज से अहम हैं। दुनिया भर में इनकी 1300 प्रजातियां हैं जो समस्त स्तनधारियों का बीस फीसद हैं। इंसानी सभ्यता के शुरुआत से ही यह जीव हमारे निकट रहा है।
खतरनाक विषाणुओं का भंडार है चमगादड़
जूनोटिक डिजीज (ऐसी बीमारी जो जानवरों से इंसानों में फैले) विषाणु सामान्यतौर पर खास प्रजाति पर आश्रित रहते हैं करीब सभी विषाणु जो अन्य को संक्रमित करते हैं, इंसानों के लिए नुकसानदेय नहीं होते ऐसे विषाणुओं की बहुत कम संख्या होती है जो दूसरी प्रजातियों (जैसे इंसानों) को संक्रमित करते हैं यद्यपि की सभी जूनोटिक डिजीज गंभीर रोग का खतरा नहीं होती हैं, फिर भी न्यू साइंटिस्ट पत्रिका के मुताबिक दुनिया भर में हर साल 2.5 अरब लोग इनसे बीमार पड़ते हैं। 27 लाख लोग इनसे मारे भी जाते हैं।
पैंगोलिन भी वाहक
कोरोना वायरस पैंगोलिन में भी पाया गया है। दुनिया भर में सबसे ज्यादा तस्करी इसी जीव की होती है। इसकी त्वचा से परंपरागत चीनी औषधि तैयार की जाती है।
ऐसे संक्रमित हो रहे है इंसान
लंबे समय से कोरोना वायरस परिवार से इंसान संक्रमित होते आ रहे हैं। इसी परिवार के वायरस से सर्दी-जुकाम जैसे छोटे-मोटे रोग होते हैं और इन्हीं के सदस्यों से मर्स, सार्स जैसी गंभीर महामारी भी फैलती है। 2019 के आखिरी महीनों में पैदा हुआ कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन इस परिवार का सातवां संस्करण है। रोकथाम का कोई कारगर नुस्खा सामने नहीं है। हालांकि इस परिवार के कार्य-व्यवहार को परख कर हम इसके रोकथाम के बारे में कुछ समझदारी विकसित कर सकते हैं।
संक्रमण प्रवेश करने के बाद वायरस अपने जेनेटिक तत्व छोड़ता है। कोशिकाद्रव्य में वायरस द्वारा छोड़ा जाने वाला यह एकल कुंडलित आरएनए होता है।
द्विगुणन वायरस कोशिका को हाईजैक कर लेता है और अपने जेनेटिक तत्व का द्विगुणन शुरू करने लगता है। इसके बाद कोशिका की मशीनरी का इस्तेमाल करके नए वायरल कणों को तैयार करता है।
निष्कासन द्विगुणन और प्रसारण के बाद एक्सोसाइटोसिस प्रक्रिया के तहत वायरस कोशिका से निकल जाता है। जिससे यह अन्य कोशिकाओं को अपना शिकार बना सके। इसी दौरान वायरल वृद्धि के दौरान तनाव में कोशिका दम तोड़ देती है। चमगादड़ का कंकाल हमारे जैसा ही होता है जो हमारी पूर्वज साझेदारी का द्योतक है।