सनातन धर्म में पूजा-पाठ को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यही कारण है कि पूजा-पाठ के दौरान सभी विधियों का विशेष ध्यान रखा जाता है। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि वैदिक मंत्रों के उच्चारण से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। लेकिन कई बार मंत्रों का उच्चारण करते हुए लोग अज्ञानतावश कई गलतियां कर बैठते हैं, जिनके कारण पूजा-पाठ का उचित फल उन्हें को नहीं मिल पाता है। ऐसे में व्यक्ति को मंत्रों का जाप (Mantra Jaap Niyam) व उच्चारण करते समय किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए आचार्य से जानिए।
मंत्रों का जाप करते समय रखें इन बातों का विशेष ध्यान
आचार्य बताते हैं कि मंत्रों (Mantra) का उच्चारण और जाप करते समय व्यक्ति कुछ बातों विशेष ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले पूजा-स्थल अथवा जाप करने की जगह पर शुद्धता पूर्ण रूप से होनी चाहिए। बिना ध्यान दिए किसी भी स्थान पर जाप करने के दुष्परिणाम भी हो सकते हैं।
इसके साथ व्यक्ति को पूजा के समय सभी मंत्रों का उच्चारण शुद्ध करना चाहिए। यदि व्यक्ति को मंत्र कठिन लग रहा है तो उसे किसी पुरोहित व आचार्य से मंत्र का शुद्ध उच्चारण सीख कर फिर जाप करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि अशुद्ध उच्चारण के कारण देवी-देवता क्रोधित हो जाते हैं।
ध्यान व योग क्रिया में ‘ॐ’ का उच्चारण अधिकांश समय किया जाता है। साथ ही ‘ॐ’ के उच्चारण से न केवल वातावरण शुद्ध होता है, बल्कि व्यक्ति मानसिक तनावों से भी दूर रहता है। बता दें कि ‘ॐ’ शब्द के रूप में नहीं बल्कि ध्वनि के रूप में कार्य करता है। इसलिए इसका उच्चारण शांत जगह पर पूर्ण श्रद्धा और एकाग्रता के साथ करना चाहिए।
किसी अनुष्ठान व मांगलिक कार्य में मंत्रों का उच्चारण एक पुरोहित अथवा विद्वान से ही कराना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि विवाह और हवन इत्यादि में प्रयोग किए जाने वाले मंत्र जटिल होते हैं और इनमें अशुद्ध उच्चारण होने की सम्भावना कई गुना अधिक होती है। इसलिए इन महत्वपूर्ण आयोजनों में अशुद्ध उच्चारण से बचना चाहिए।
पूजा-पाठ के दौरान वह किसी साफ आसन पर बैठे हों। बिना आसन के पूजा नहीं की जाती है और इसे अशुभ माना जाता है।
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