लॉकडाउन के तीसरे चरण में देश के अलग-अलग इलाकों को छूट
#Corona virus : लॉकडाउन के तीसरे चरण में देश के अलग-अलग इलाकों को रेड, ग्रीन व ऑरेंज जोन में रखकर कई छूट भी दी गई हैं. एक श्रेणी कंटेनमेंट जोन की भी है, जहां लॉकडाउन सबसे ज्यादा सख्ती से लागू जारी रहेगा.
जानें इन अलग-अलग जोन का मतलब क्या है और किस आधार पर ये तय किये गये हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जिलावार जोन बांटे हैं .
ग्रीन जोन
देश के कुल 733 जिलों में से 319 जिले फिलहाल ग्रीन जोन में हैं.ग्रीन जोन में ऐसे जिलों को रखा गया है जहां या तो अब तक कोरोना वायरस का कोई भी कंफर्म मामला नहीं आया है या पिछले 21 दिनों में कोई कंफर्म केस सामने नहीं आया है. यानी जो जिले फिलहाल कोरोना से पूरी तरह मुक्त हैं, उन्हें ग्रीन जोन में रखा गया है.
रेड जोन
रेड जोन में वो जिले हैं जहां कोरोना के एक्टिव केस हैं. इसमें कोरोना केस की कुल संख्या, कंफर्म केस दोगुनी होने की दर, जिलों से प्राप्त कुल परीक्षण (टेस्टिंग) और निगरानी सुविधा संबंधी जानकारियों को ध्यान में रखा जाता है. देश के 130 जिले रेड जोन में हैं.
ऑरेंज जोन
इसमें वो जिले आते हैं, जिन्हें न तो रेड जोन और न ही ग्रीन जोन में रखा गया है. यानी बचे हुये जिले ऑरेंज जोन में माने जायेंगे. फिलहाल, 284 जिले इस जोन में हैं.
ये मानक केंद्र सरकार ने तय किये हैं. हालांकि, राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेशों को ये छूट भी दी गई है कि वो कुछ और जिलों को रेड व ऑरेंज जोन के रूप में शामिल कर सकते हैं, लेकिन जो जिले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के हिसाब से रेड या ऑरेंज जोन में रखा गया हो उसे सूची से बाहर नहीं किया जा सकता है.
कंटेनमेंट जोन.
रेड, ग्रीन और ऑरेज जोन के अलावा एक और जोन काफी चर्चा में रहता है, वो है कंटेनमेंट जोन. रेड, ऑरेंज या ग्रीन जोन जिलों के हिसाब से तय किया गया है. जबकि कंटेनमेंट जोन इलाकों के हिसाब से तय होता है. मसलन, अगर किसी कॉलोनी, मोहल्ले, वार्ड, गांव या गली में कोरोना संक्रमण काफी ज्यादा फैल रहा हो या किसी जिले के कुछ चुनिंदा इलाकों में ही कोरोना के ज्यादा केस आ रहे हों तो स्थानीय प्रशासन ऐसे इलाकों को अपने हिसाब से कंटेनमेंट जोन की श्रेणी में रख लेता है. कंटेनमेंट जोन की पहचान भी केंद्र सरकार की गाइडलाइन के हिसाब से ही की जाती है.
ऐसे तय होता है कंटेनमेंट जोन
कंटेनमेंट जोन को लेकर भी अलग-अलग नियम हैं. शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कंटेनमेंट जोन को तय करने का अलग फॉर्मूला अपनाया जाता है. अगर किसी इलाके में कोरोना का एक पॉजिटिव केस आता है तो शहरी क्षेत्र में उस कॉलोनी, मोहल्ले या वार्ड की सीमा के अंदर कम से कम 400 मीटर के दायरे को कंटेनमेंट घोषित किया जा सकता है. प्रशासन चाहे तो 400 मीटर से ज्यादा दायरे को भी इसमे अंतर्गत ले सकता है. वहीं, यदि किसी ग्रामीण इलाके में कोरोना का एक केस आये तो पूरा गांव ही कंटेनमेंट घोषित कर दिया जाता है.
केंद्रीय गृहमंत्रालय ने लॉकडाउन से राहत दी है
अगर किसी कॉलोनी, मोहल्ले, वार्ड या गांव में कोरोना का एक से ज्यादा केस सामने आता है तो शहरी क्षेत्र में उस इलाके की सीमा या उसके आसपास के 1 किलोमीटर के दायरे में आने वाले सभी गलियों को कंटेनमेंट जोन में रखा जा सकता है. इस तरह जोन तय किये गये हैं और जोन के मुताबिक ही केंद्रीय गृहमंत्रालय ने लॉकडाउन से राहत दी है.