केंद्र और दिल्ली सरकार सक्सेना (Delhi LG vs Arvind Kejriwal Government) के बीच राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर लंबे समय चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की पांच जजों की पीठ ने आज अपना फैसला सुना दिया है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह सर्वसम्मति का फैसला है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को यह व्यवस्था दी कि जमीन, पुलिस और कानून-व्यवस्था को छोड़कर राष्ट्रीय राजधानी की बाकी प्रशासनिक सेवाओं पर दिल्ली सरकार का ही नियंत्रण है। उपराज्यपाल इन तीन मुद्दों को छोड़कर दिल्ली सरकार के बाकी फैसले मानने के लिए बाध्य हैं। सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था के मुताबिक महत्वपूर्ण बात यह है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों (IAS) पर भी दिल्ली सरकार का नियंत्रण रहेगा, भले ही वे उसकी तरफ से नियुक्त न किए गए हों।
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– अधिकारियों की तैनाती और तबादले का अधिकार दिल्ली सरकार के पास होगा.
– चुनी हुई सरकार के पास प्रशासनिक सेवा का …
का अधिकार होना चाहिए. अगर चुनी हुई सरकार के पास प्रशासनिक व्यस्था का अधिकार नहीं होगा, तो फिर ट्रिपल चेन जवाबदेही पूरी नहीं होती.
उपराज्यपाल को सरकार की सलाह माननी होगी.
– पुलिस, पब्लिक आर्डर और लैंड का अधिकार केंद्र के पास रहेगा.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संवैधानिक बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि दिल्ली सरकार की शक्तियों को सीमित करने के लिए केंद्र की दलीलों से निपटना जरूरी है. NCDT एक्ट का अनुच्छेद 239aa विस्तृत अधिकार परिभाषित करता है. यह अनुच्छेद विधानसभा की शक्तियों की समुचित व्याख्या करता है. इसमें तीन विषयों को सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर रखा गया है.
दिल्ली सरकार वर्सेज एलजी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र और संघवाद के सिद्धांत बुनियादी संरचना संघवाद का एक हिस्सा है, जो विविध हितों के अस्तित्व को सुनिश्चित करते हैं. वहीं, विविध आवश्यकताओं को समायोजित करते हैं. कोर्ट ने कहा है कि जनता द्वारा चुनी हुई सरकार के पास ही नौकरशाही को कंट्रोल करने के अधिकार होने चाहिए.Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अगर प्रशासनिक सेवाओं को विधायी और कार्यकारी डोमैन से बाहर रखा जाता है, तो मंत्रियों को उन सिविल सेवकों को कंट्रोल करने से बाहर रखा जाएगा, जिन्हें कार्यकारी निर्णयों को लागू करना है.
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