RAHUL PANDEY
गदर फिल्म में तारीख तारीख का डायलाग काफी फेमस हुआ था। अब बिल्डर और एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के अफसर आश्वासन पर आश्वासन दे रहे हैं। फ्लैट खरीदने में अपनी गाढी कमाई लगाने वाले देशभक्तों की सुनने वाला कोई नहीं है। कई को आवास मिला तो सुविधा नहीं और कई को तो अब तक उनका आवास तक नहीं मिला है। अपनी मांगों को लेकर यह राष्ट्रभक्त अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। अपकंट्री बायर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश चंद्र बताते हैं कि नोएडा स्थित सुपरटेक की अपकंट्री सोसाइटी में रहने वाले लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. प्राधिकरण से शिकायत के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. इसी को लेकर सोसाइटी में रह रहे लोगों ने प्रदर्शन किया. इस संबंध में एक पत्र गौतम बुद्ध नगर जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह को सौंपा गया है। लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।
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13 साल बीत गए
सपनों का आशियाना पाने के इंतजार में 13 साल बीत गए। मगर, अभी तक न फ्लैट मिला और न ही बिल्डर, प्राधिकरण और सरकार की ओर से कोई एक्शन नहीं लिया गया। इससे आहत होकर सुपरटेक अपकंट्री के सैकड़ों की संख्या में निवासियों ने सुपरटेक बिल्डर के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में काफी संख्या में महिलाएं भी उपस्थित रही। सुपरटेक ऐसे खरीदारों से उच्च रखरखाव शुल्क, बिजली शुल्क वसूल रहा है और उनका बेरहमी से शोषण कर रहा है।
5 हजार बायर्स ने फ्लैटों को कराया बुक
अपकंट्री बायर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश चंद्र शर्मा ने बताया कि सुपरटेक ने उनके साथ धोखा किया। 2011 में सुपरटेक ने अपकंट्री प्रोजेक्ट लॉन्च किया। खरीदारों को बताया गया कि दो से तीन साल यानी 2013, 2014 में बुनियादी सुविधाओं के साथ सभी को पजेशन मिलेगा। 2011 में करीब 5,000 बायर्स ने फ्लैटों को बुक कराया। वर्तमान में सभी बायर्स 90 प्रतिशत से ज्यादा की रकम बिल्डर को दे चुके है। बिल्डर ने अपने आप को बचाने के लिए जबरन लोगों को पजेशन देना शुरू किया। वर्तमान में करीब 200 परिवार ऐसे है जो फ्लैटों में रह रहे है। जिनको सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है। सेक्टर 17-ए, यमुना एक्सप्रेसवे (YEIDA), उत्तर प्रदेश में स्थित प्रोजेक्ट अपकंट्री के खरीदार पिनकोड नहीं डाल सकते क्योंकि हमें पिन कोड आवंटित नहीं किया गया है।
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ब्याज का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी
रेरा एक्ट अधिनियम की धारा 18 के अनुसार, सुपरटेक लिमिटेड आवंटियों को देरी के हर महीने के लिए ब्याज का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है। यहां तक कि रेरा के अधिकारियों ने आवंटियों के कई मामलों में सुपरटेक को उक्त धारा का अनुपालन करने का निर्देश भी दिया लेकिन उसने किसी भी आवंटी को व्याज का भुगतान नहीं किया। दूसरी तरफ सुपरटेक लिमिटेड आवंटियों से किसी न किसी तरह से रंगदारी वसूलने की कोशिश कर रहा है।
बकाये का भुगतान नहीं किया
सुपरटेक उसी परियोजना में नियमित रूप से भोले-भाले खरीदारों को 2013, 2014, 2015, 2016 पर देने का वादा करके संपत्तियां (फ्लैट विला और प्लॉट और कुछ व्यावसायिक दुकानें भी बेचता रहा। लेकिन उन्होंने यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) के बकाये का भुगतान नहीं किया और 60% इकाइयों को भी पूरा नहीं किया। लेकिन सुपरटेक बेवजह खरीदारों से पैसा वसूल करता रहा।
सरकार को लिखा पत्र
प्रदर्शन कर रहे लोगों ने बताया कि बिजली के अस्थाई कनेक्शन दिया गया है। जिसके एवज में बिल्डर सात रुपए यूनिट के हिसाब से चार्ज वसूल रहा है। मेंटेनेंस अधिक वसूल रहा है। यहां न तो एसटीपी बना है और न बुनियादी सुविधाएं है। प्रोजेक्ट अधूरा पड़ा है। सुपरटेक लिमिटेड ने खरीदारों से लगातार पैसा वसूल किया है और लगातार रखरखाव शुल्क, बिजली शुल्क आदि के रूप में पैसा वसूल कर रहा है, लेकिन YIEDA को बकाया और लीज किराए का भुगतान नहीं कर सका और न ही साइट पर विकास कार्य पूरा कर सका। सुपरटेक लिमिटेड के प्रबंधन द्वारा गाढ़ी कमाई का पैसा निकाल लिया गया है और डायवर्ट कर दिया गया है। कंपनी के प्रबंधन में लगे लोगों ने अपनी व्यक्तिगत संपति में कई गुना वृद्धि की है लेकिन कंपनी खुद दिवालिया होने की ओर जा रही थी।
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