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जानिए क्यों मनाई जाती है यह एकादशी
मान्यताओं के अनुसार इस दिन क्षीरसागर में सोए हुए भगवान विष्णु चार माह के शयन के बाद जागते हैं और इसीलिए इस दिन विष्णु जी की गई पूजा का बहुत महत्व है. सभी देवों ने भगवान विष्णु को चार मास की योग-निद्रा से जगाने के लिए घण्टा, शंख, मृदंग आदि वाद्यों की मांगलिक ध्वनि के साथ श्लोकों का उच्चारण किया था.
ऐसे करें पूजा…
- इस दिन घर और मंदिर में गन्ने का मंडप बनाएं और उसमें लक्ष्मीनारायण (शालिग्राम) की पूजा अर्चना करें.
- घर में कलश स्थापित कर उसकी पूजा की जाती है.
- पूजा के बाद कलश के पानी को घर और किचन में छिड़कें.
- भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के साथ इस दिन तुलसी जी का शालिग्राम जी से विवाह भी कराया जाता है.
- ऐसा करने से व्यक्ति का दांपत्य जीवन सुखमय बीतता है.
- तुलसी जी को चुनरी चढ़ाकर शृंगार का समान अर्पित किया जाता है.
प्रसाद में रखें ये खास चीजें…
- लक्ष्मीनारायण जी को इस दिन, आंवला, सिंघाड़े और मौसमी फलों का भोग लगाया जाता है.
- फलों के अलावा इस दिन कुछ सब्जियां जैसे मूली, बैंगन, खीरा आदि का भोग भी लगाया जाता है क्योंकि एकादशी के व्रत में चौबीस घंटे का व्रत रखा जाता है इसलिए व्रती इस दिन दिनभर निराहार रहकर रात में जाकर केवल फलाहार, दूध या जूस लेते हैं.
- कहते हैं इस व्रत को करने वाले को दिव्य फल प्राप्त होता है.
- इसके अलावा क्योंकि मखाना अनाज नहीं होता इसलिए पकवानों में मखाने की खीर बनाकर भोग में लागई जा सकती है.
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