मलमास को अधिक मास या पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है
18 सितंबर से मलमास शुरू हो चुके हैं, जो द्वितीय अधिक मास आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या 16 अक्टूबर तक चलेगा। मलमास को अधिक मास या पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है। इस मास में प्राणी श्रीहरि विष्णु (vishnu) की आराधना करके अपने जीवन में आने वाली सभी विषम परिस्थितियों, समस्याओं, कार्य बाधाओं, व्यापार में अत्यधिक नुकसान आदि से संकटों से मुक्ति पा सकता है।
परमेश्वर श्रीविष्णु द्वारा वरदान प्राप्त मलमास अथवा पुरुषोत्तम मास की अवधि के मध्य श्रीमद्भागवत का पाठ, कथा का श्रवण, श्रीविष्णु सहस्त्रनाम, श्री राम रक्षास्तोत्र, पुरुष सूक्त का पाठ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॐ नमो नारायणाय जैसे मंत्रों का जप करके मनुष्य श्री हरि की कृपा का पात्र बनता है। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस मास में निष्काम भाव से किए गए जप-तप पूजा-पाठ ,दान-पुण्य, अनुष्ठान आदि का महत्व सर्वाधिक रहता है।
इस मास में किए गए जप-तप, दान पुण्य का लाभ जन्म जन्मांतर तक दान करने वाले के साथ रहता है। लगभग तीन वर्षों के अंतराल में पढ़ने वाले इस महापर्व का भरपूर लाभ उठाना चाहिए। जिस चन्द्रवर्ष में सूर्य संक्रांति नहीं पड़ती उसे मलमास कहा गया है जिसका सीधा संबंध सूर्य और चंद्रमा की गति के आधार पर निर्धारित होता है।
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विद्यार्थियों अथवा प्रतियोगी छात्रों को भी इनकी आराधना से पढ़ाई अथवा परीक्षा में आ रही बाधाओं से छुटकारा मिल सकता है।17 अक्टूबर से नवरात्रि का पर्व आरंभ होते ही शुभ कार्यों की भी शुरूआत हो जाएगी। मलमास में शुभ कार्यों को वर्जित माना गया है। मलमास में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। लेकिन नवरात्रि आरंभ होते ही नई वस्तुओं की खरीद, मुंडन कार्य, ग्रह प्रवेश जैसे शुभ कार्य आरंभ हो जाएंगे। लेकिन शादी विवाह देवउठनी एकादशी तिथि के बाद ही आरंभ होंगे। नवरात्रि में देरी के कारण इस बार दीपावली 14 नवंबर को मनाई जाएगी। नवरात्रि का पर्व आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरंभ होगा, जो 17 अक्टूबर को पड़ रही है। इस दिन सूर्य कन्या राशि में, चंद्रमा तुला राशि में विराजमान रहेंगे। नवरात्रि के प्रथम दिन घटस्थापना का शुभ मुहूर्त प्रात: 6 बजकर 23 मिनट से प्रात: 10 बजकर 12 मिनट तक है। घटस्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त प्रात:काल 11:44 से 12:29 तक रहेगा।
शारदीय नवरात्रि की तिथियां
17 अक्टूबर 2020 (शनिवार) – प्रतिपदा घटस्थापना
18 अक्टूबर 2020 (रविवार) – द्वितीया माँ ब्रह्मचारिणी पूजा
19 अक्टूबर 2020 (सोमवार) – तृतीय माँ चंद्रघंटा पूजा
20 अक्टूबर 2020 (मंगलवार) – चतुर्थी माँ कुष्मांडा पूजा
21 अक्टूबर 2020 (बुधवार) – पंचमी माँ स्कंदमाता पूजा
22 अक्टूबर 2020 (गुरुवार) – षष्ठी माँ कात्यायनी पूजा
23 अक्टूबर 2020 (शुक्रवार) – सप्तमी माँ कालरात्रि पूजा
24 अक्टूबर 2020 (शनिवार) – अष्टमी माँ महागौरी दुर्गा महा नवमी पूजा दुर्गा महा अष्टमी पूजा
25 अक्टूबर 2020 (रविवार) – नवमी माँ सिद्धिदात्री नवरात्रि पारणा विजयदशमी या दशहरा
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