Dwipushkar Yoga: चैत्र नवरात्र के दौरान जगत जननी मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त नवरात्र का व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। Dwipushkar Yoga
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दुर्लभ द्विपुष्कर योग का संयोग
ज्योतिषियों की मानें तो चैत्र महीने में दो बार दुर्लभ द्विपुष्कर योग का संयोग बन रहा है। इस योग में जगत जननी मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। साथ ही शुभ कामों में सफलता एवं सिद्धि मिलेगी। आइए, चैत्र नवरात्र की तिथि और द्विपुष्कर योग का मुहूर्त जानते हैं-
शुभ मुहूर्त (Chaitra Navratri 2025 Start and End Date)
वैदिन पंचांग के अनुसार, चैत्र माह की शुरुआत 15 मार्च से हो रही है। वहीं, 29 मार्च को चैत्र अमावस्या है। इसके अगले दिन से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होगी। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 30 मार्च को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगी। चैत्र नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना समय सुबह 06 बजकर 13 मिनट से लेकर 10 बजकर 22 मिनट तक है। इसके बाद अभिजीत मुहूर्त 12 बजकर 01 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 50 मिनट के मध्य भी घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त है। इन दो शुभ योग में चैत्र नवरात्र की घटस्थापना कर सकते हैं।
द्विपुष्कर योग
ज्योतिषियों की मानें तो चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि यानी 16 मार्च को द्विपुष्कर योग का संयोग है। इस योग का निर्माण दिन में 11 बजकर 44 मिनट से हो रहा है। वहीं, द्विपुष्कर योग का समापन शाम 04 बजकर 58 मिनट पर होगा। इसके बाद वैष्णव जनों को समर्पित पापमोचनी एकादशी के दिन यानी 26 मार्च को द्विपुष्कर योग का निर्माण हो रहा है।
26 मार्च को ब्रह्म मुहूर्त में 03 बजकर 49 मिनट से लेकर सुबह 06 बजकर 18 मिनट तक है। द्विपुष्कर योग में भगवान विष्णु और जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा -उपासना करने से साधक को अमोघ और अक्षय फल की प्राप्ति होगी। द्विपुष्कर योग वृषभ, तुला, धनु और मीन राशि के जातकों के लिए बेहद शुभ रहेगा। इन राशि के जातकों पर जगत की देवी मां दुर्गा की कृपा बरसेगी।
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अस्वीकरण: ”इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। JAIHINDTIMES यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है।