Early Time Tracking Methods: आज हम घड़ी देखकर आसानी से समय का पता लगा लेते हैं। घड़ी इतनी कॉमन चीज है, जिसपर हम अक्सर ध्यान नहीं देते, लेकिन यह बेहद जरूरी काम करती है। Early Time Tracking Methods
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क्या आपने कभी सोचा है कि घड़ी के आविष्कार से पहले लोग कैसे समय का पता लगाते थे? आइए जानते हैं समय देखने के कुछ पुराने तरीकों के बारे में।
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जल घड़ी
पानी का बर्तन- एक बर्तन में धीरे-धीरे छेद करके पानी निकाला जाता था। बर्तन में बने निशानों के हिसाब से समय का अंदाजा लगाया जाता था।
कॉम्प्लेक्स डिजाइन- बाद में जल घड़ियों को और कॉम्प्लेक्स बनाया गया, जिसमें घंटी और अन्य उपकरण शामिल थे।
सैंड क्लॉक- दो बल्बों के बीच एक छोटा-सा छेद होता था। ऊपरी बल्ब में रेत भरकर उसे उल्टा कर दिया जाता था। रेत के नीचे गिरने में लगने वाले समय से समय का अंदाजा लगाया जाता था। इसे ही अंग्रेजी में सैंड क्लॉक कहा जाता है।
सूरज की रोशनी
सूर्य घड़ी- सबसे प्राचीन तरीकों में से एक सूर्य घड़ी यानी सन क्लॉक थी। एक सीधी छड़ को जमीन में गाड़ा जाता था और उसकी छाया के हिसाब से समय का अंदाजा लगाया जाता था।
सूर्योदय और सूर्यास्त- सूरज किस समय उग रहा है और किस वक्त डूब रहा है, को दिन के दो मुख्य बिंदु माने जाते थे। इनके बीच के समय को छोटे-छोटे भागों में बांटा जाता था और समय का अनुमान लगाया जाता था।
चंद्रमा और तारे
चंद्रमा की कलाएं- चंद्रमा की अलग-अलग कलाओं को देखकर महीनों का अंदाजा लगाया जाता था।
तारों की स्थिति- तारों की स्थिति को देखकर रात का समय का अंदाजा लगाया जाता था।
प्रकृति की घटनाएं
पशुओं की गतिविधियां- पशुओं की नींद और जागने के समय, पक्षियों के गाने आदि से भी समय का अंदाजा लगाया जाता था।
पेड़ों की छाया- पेड़ों की छाया के हिसाब से भी दिन के समय का अंदाजा लगाया जाता था।
इन तरीकों के अलावा, कई लोग सौर मंडर में ग्रहों की गति की मदद से भी समय का अनुमान लगाते थे। हालांकि, ऐसा कुछ ही लोग कर पाते थे। घड़ी के आविष्कार से पहले इन तरीकों का इस्तेमाल समय का अंदाजा लगाने के लिए किया जाता था, लेकिन इनकी अपनी कुछ लिमिटेशन्स थीं। जैसे- सिर्फ दिन और रात का सही अनुमान लगा पाना, सटीक समय का पता न चलना या खुली और रोशनी वाली जगहों पर ही समय का पता लगा पाना। इन वजहों से समय जानने में काफी समस्या का सामना करना पड़ता था।
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