Bone Products : खाना वेज है या नॉनवेज, आप कैसे पहचानते हैं। जाहिर है वेज खाना ग्रीन डॉट और नॉनवेज रेड डॉट सिंबल देखकर। क्या हो कि जिस कप में आप चाय पीते हैं, जिस प्लेट में खाते हैं, जो मालाएं पहनते हैं, ये सभी किसी जानवर की हड्डी से बने हों। ऐसा हो भी रहा है। artificial jewellery
DELHI का टोली मोहल्ला। इस गली में आर्टिफिशियल ज्वेलरी बनाने के कारखाने हैं। मेन रोड पर करीब पंद्रह मिनट चलकर हम एक फैक्ट्री में पहुंचे। हर जगह मालाएं, हार और हेयर स्टिक हैं। ये ज्वेलरी भैंस की हड्डियों से बनी है। हेयर स्टिक पर भगवान गणेश और ओम की आकृति बनी है।
यहां फुटपाथ और दुकानों में कपड़े, आर्टिफिशियल ज्वेलरी बिक रही है। इनमें हड्डियों से बनी ज्वेलरी भी शामिल है। दुकानदार से पूछा कि आप ग्राहकों को बताते हैं कि ये हड्डियों से बनी हैं। दुकानदार ने जवाब दिया- अब कंपनी हड्डी लिखकर तो नहीं देगी। अगर कोई पूछता है तो बता देते हैं। आगे पूछने पर दुकानदार नाराज हो गया। बोला- मुझे नहीं बेचना, आप चले जाओ।
इस पड़ताल में 4 बड़ी बातें सामने आईं-
हड्डी से बने प्रोडक्ट पर धार्मिक चिह्न, खरीदने वालों को पता नहीं
कवरेज के दौरान हमने भैंस की हड्डी से बनी गणेश जी की आकृति और ऊं के निशान वाली हेयर स्टिक देखीं। इन्हें देखकर कोई नहीं जान सकता कि ये हड्डी से बने हैं, जब तक कि दुकानदार खुद न बताएं। हालांकि इसके सप्लायर ने बताया कि हम तो इसे भैंस की हड्डी का बताकर बेचते हैं। दुकानदार ऑर्डर देते हैं, तभी हम लोग तैयार करते हैं।
सप्लायर ने बताया कि फैक्ट्री से निकला हड्डियों का बुरादा पुरानी दिल्ली समेत कई जगह बेचा जाता है। हमें 50 से 60 रुपए किलो हड्डी मिलती है। इससे आर्टिफिशियल ज्वेलरी बनाते समय निकलने वाला बुरादा 150 रुपए किलो तक बिकता है।
सामान पर नहीं लिखा जाता कि वो हड्डी से बना है
हड्डियों के बुरादे से बना मटेरियल, सेरेमिक यानी चीनी मिट्टी से काफी अलग होता है। बोन चाइना कप-प्लेटों में 40-50% तक बोन्स होती हैं। इस बारे में प्रोडक्ट पर कोई जानकारी नहीं होती। बस बोन चाइना कप लिख दिया जाता है। दुकानदार कहते हैं कि लोग खुद बोन चाइना प्रोडक्ट ज्यादा पसंद करते हैं। भले वो देसी चीनी मिट्टी से बने प्रोडक्ट से महंगा मिलता है। अच्छा दिखने की वजह से इनकी डिमांड ज्यादा है।
पूछने पर ऊंट की हड्डी बताते हैं, होती है भैंस की हड्डी
हमने हड्डी से बनी आर्टिफिशियल ज्वेलरी की पड़ताल दिल्ली के मशहूर जनपथ बाजार में की। यहां कई दुकानों पर हड्डी से बनी ज्वेलरी मिली। हमने दुकानदार से पूछा कि ये किस चीज से बनी है। जवाब मिला- मुझे नहीं पता। हमने पूछा कि क्या ये बोन ज्वेलरी है। तब दुकानदार समझा और हां में जवाब दिया।
आखिर में बोला कि ये ऊंट की हड्डी से बनी ज्वेलरी है। हालांकि सप्लायर ने हमें बताया था कि ऊंट की हड्डी का बताकर बेची जा रही चीजें असल में भैंस की हड्डी से बनी होती है।
बोन ज्वेलरी के नियम-कानून नहीं, धोखे में ग्राहक
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, बोन ज्वेलरी को लेकर कोई नियम-कानून नहीं है, न ही ये गैर कानूनी है। बस प्रोडक्ट की जानकारी छिपाकर ग्राहकों को धोखे में रखा जा रहा है। दिल्ली से सटे गाजियाबाद में हड्डी से आर्टिफिशियल ज्वेलरी और मूर्तियां बनाने वाली फैक्ट्रियां हैं।
हम खरीदार बनकर गाजियाबाद की एक फैक्ट्री में पहुंचे। वहां होलसेल में प्रोडक्ट खरीदने से बात शुरू की। हम सप्लायर की पहचान नहीं बता रहे हैं क्योंकि उसने हड्डी से बनी किसी भी चीज की जानकारी नहीं छिपाई। खुलकर बताया कि कोई भी सामान ऊंट या हाथी दांत से नहीं बनता। सब भैंस की हड्डी से ही बन रहा है। हम यही बताकर कारोबारियों को देते हैं। आगे दुकानदार ये जानकारी छिपा लेते हैं।
रिपोर्टर: हड्डियां कितने रुपए किलो मिल जाती हैं?
सप्लायर: हमें हड्डी 50-60 रुपए किलो मिलती है, जैसी क्वॉलिटी वैसी कीमत। फैक्ट्री में कारीगरों से सामान बनवाते हैं। उसके बाद जो सबसे खराब माल निकलता है, वो भी 30 रुपए किलो में बेच देते हैं।
रिपोर्टर: हड्डी का बुरादा भी तो निकलता होगा, उसका क्या होता है?
सप्लायर: हड्डी का बुरादा तो और महंगा बिकता है। इसकी कीमत 150 रुपए किलो तक होती है। ये फैक्ट्रियों से चांदनी चौक तक भेजा जाता है। चांदनी चौक से दूसरे राज्यों में जाता है। कोई नहीं बताता है कि ये हड्डी का बुरादा है, बल्कि कहते हैं कि नारियल का पाउडर है। उसे देखकर हर कोई मान भी लेता है। ऐसे में चेकिंग में पकड़ में नहीं आता। हम तो किलो में बेचते हैं। आगे उसे ग्राम में बेचा जाता है।
रिपोर्टर: किस जानवर की हड्डियों का इस्तेमाल ज्यादा होता है?
सप्लायर: भैंस और गाय सबकी हड्डियों का इस्तेमाल होता है। डिमांड इतनी ज्यादा है कि हड्डियां कम पड़ जाती हैं। किसी के पास कितना स्टॉक हो, उसकी खपत हो जाएगी। थर्ड क्वॉलिटी वाला हिस्सा बचता है, तो उसका इस्तेमाल मुर्गियों के दाने बनाने में किया जाता है। इससे उनकी ग्रोथ बहुत जल्दी होती है।
रिपोर्टर: (फोटो दिखाते हुए) ये क्या चीज है। क्या ये भी हड्डी का बना है?
सप्लायर: ये हेयर स्टिक होती है। लड़कियां बालों में लगाती हैं। ये भी हड्डी का ही है, लेकिन किसी को पता नहीं होता। बेचने वाले की मर्जी है, वो क्या बताकर बेचता है। कुछ भी बताकर बेच दो, क्या फर्क पड़ता है। कुछ लोग बताते ही नहीं। क्यों बताना। आपको अच्छा लग रहा है, ले लो।
हड्डियों से बने प्रोडक्ट पर धार्मिक चिह्न, सप्लायर बोला- डिमांड है, इसलिए बनाते हैं
सप्लायर से बात करते हुए हमें करीब एक घंटे हो चुके थे। उसका भरोसा बढ़ गया था। उसने कुछ हेयर स्टिक दिखाईं, जिन पर भगवान गणेश की आकृति बनी थी। एक हेयर स्टिक पर ॐ बना था।
हमने पूछा कि क्या ये भी हड्डी से बने हैं। जवाब मिला- हां, ये भैंस की हड्डी से बने हैं। इनका साइज नॉर्मल से थोड़ा बड़ा है। इन्हें लंबे और घने बालों के जूड़े में लगाते हैं।’
सप्लायर ने हेयर स्टिक दिखाईं, जो तिब्बत और नेपाल तक बिकने जाती हैं। इन पर भी धर्म से जुड़े प्रतीक बने थे। साथ ही भैंस की हड्डी से बनी कान की बालियां भी दिखाईं। हमने पूछा कि हड्डियों के प्रोडक्ट पर धार्मिक चिह्न बनाने पर कोई आपत्ति नहीं करता? सप्लायर बोला, ‘हमारे पास डिमांड आती है, तो हम बनाते हैं।’
हमने भगवान गणेश वाली हेयर स्टिक थोक में खरीदने के लिए पूछा। सप्लायर ने कहा कि अभी उसका कारीगर छोड़कर चला गया है। ये माल नहीं मिल पाएगा। बाकी ॐ और दूसरे हेयर स्टिक जितने चाहिए, मिल जाएंगे। आगे आपकी मर्जी, आप इसे हड्डी बताकर बेचते हैं या कुछ और बताकर, या फिर बिना बताए।
अब बात बोन चाइना से बनी क्रॉकरी की
दुकानदार बोला- बोन चाइना लिखा तो है, क्या कंपनी हड्डी लिखकर दे
आखिर में हम दिल्ली से सटे NOIDA के मार्केट में पहुंचे। एक दुकानदार से पूछा कि बोन चाइना कप हड्डी से बनते हैं। जवाब मिला, ‘हां। बोन तो लिखा ही है। अब क्या हड्डी लिखकर देंगे। इसमें हड्डी मिक्स होती है। इससे चमक आती है।’
‘बोन चाइना वाला प्रोडक्ट लाइट वेट होता है। चमक के साथ मजबूती भी होती है। इसलिए लोग उसे ज्यादा पसंद करते हैं। चीनी मिट्टी वाले कप-प्लेट का वजन ज्यादा होता है।
हमने दुकानदार से पूछा कि क्या आपके पास बिना हड्डी वाले कप-प्लेट भी हैं। दुकानदार ने ऐसे कप-प्लेट दिखाए, जिनके पैकेट पर लिखा था 100% बोन ऐश फ्री। इससे बिना हड्डी वाले कप प्लेट की जानकारी तो मिल गई, लेकिन कई बोन चाइना प्रोडक्ट हैं, जिन पर मटेरियल के बारे में कुछ भी लिखा नहीं मिला। बोन चाइना भी नहीं लिखा था। हालांकि दुकानदार ने माना कि ये बोन चाइना प्रोडक्ट ही हैं।
दुकानदार बोले- कोई पूछता नहीं है, इसलिए बताते नहीं
नोएडा में क्रॉकरी शॉप चलाने वाले लालू बताते हैं कि बोन चाइना प्रोडक्ट जानवरों की हड्डी से बने होते हैं। बहुत लोगों को पता नहीं होता है। अगर कोई पूछता नहीं है, तो हम बताते हैं।
नोएडा के ही क्रॉकरी कारोबारी मनमीत सिंह कहते हैं, ‘आजकल जो विदाउट बोन मिक्स वाले कप-प्लेट आ रहे हैं, उन पर कई कंपनियां वेज खाने की तरह ग्रीन लोगो लगाती हैं। बोन चाइना वाले रेड लोगो नहीं लगाते, ये उनकी कमी है। इस वजह से लोग जान नहीं पाते हैं। नॉन बोन चाइना वाले कप नॉर्मल कप से थोड़े मोटे होते हैं।’
बोन चाइना प्रोडक्ट में 40-50% मात्रा हड्डी की
उत्तर प्रदेश के खुर्जा को क्रॉकरी उद्योग का बड़ा हब माना जाता है। बोन चाइना प्रोडक्ट के बारे में हमने यहां के बंसल सिमेरिक मैन्युफैक्चरर से बात की। इसके ओनर वीरेंद्र बंसल बताते हैं, ‘हम लोग सिर्फ चीनी मिट्टी या सिरेमिक वाले प्रोडक्ट बनाते हैं। इनमें हड्डी का जरा भी इस्तेमाल नहीं होता।’
‘बोन चाइना प्रोडक्ट में हड्डी का इस्तेमाल होता है। उसमें 3 चीजें होती हैं। 40-50% तक हड्डी पाउडर, 25% के आसपास चीनी मिट्टी और बाकी 25% में चाइना स्टोन और कुछ केमिकल मिलाते हैं। इसे काफी तेज तापमान पर गर्म करके तैयार करते हैं। बोन चाइना प्रोडक्ट हल्के और ज्यादा फाइन होते हैं क्योंकि उसमें हड्डी की मिलावट होती है।’
276 साल पहले इंग्लैंड से हुई थी शुरुआत
bone china की शुरुआत इंग्लैंड से हुई थी। 1748 में लंदन के आर्टिस्ट थॉमस फ्रे ने चीनी मिट्टी की जगह हड्डियों के पाउडर से इसे तैयार किया। चीनी मिट्टी लाना महंगा पड़ता था। थॉमस के घर के पास स्लॉटर हाउस था। ऐसे में आसानी से हड्डियां मिल गईं। थॉमस ने उन्हें बारीक करके पहली बार बोन चाइना प्रोडक्ट तैयार किया।
शुरुआत में इसे सिर्फ England में ही बनाया गया। बाद में ये आइडिया चीन और जापान पहुंचा। भारत में राजस्थान और गुजरात में बोन चाइना प्रोडक्ट ज्यादा बनाए जाते हैं।