7 राज्यों में किसानों की हड़ताल
पंजाब और मध्य प्रदेश समेत देश के 7 राज्यों में एक जून यानी आज से किसानों ने आंदोलन शुरू कर दिया है. दरअसल, किसान यूनियनों ने अपनी मांगों को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ 10 दिवसीय किसान आंदोलन का आह्वान किया है. साथ ही मध्य प्रदेश के मंदसौर में किसानों ने सब्जियों और दूध को बाहर शहर न भेजने का ऐलान किया है. किसानों का ये आंदोलन सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का भुगतान के वादे को जल्द से जल्द पूरा करने को लेकर है.
सड़कों पर फेंकी सब्जियां, दूध सप्लाई भी रोकी
- पुणे के खेडशिवापुर टोल प्लाजा पर किसानों ने 40 हजार लीटर दूध बहाया.
- एमपी के मंदसौर में आंदोलन शुरू करने से पहले मंदिर किसान पहुंचे और भगवान का दूध से अभिषेक किया.
- राष्ट्रीय किसान महासंघ ने 130 संगठनों के साथ विरोध प्रदर्शन और हड़ताल का ऐलान किया है.
- किसान सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का भुगतान के वादे को पूरा करने को लेकर मांग कर रहे हैं.
- आगरा में अपने वाहनों की फ्री आवाजाही कराने के लिए किसानों ने टोल पर किया कब्जा कर लिया और जमकर की तोड़फोड़ की.
- झबुआ में धारा 144 लगा दी गई है. किसानों से शांति बनाए रखने की अपील की गई है.
- मंदसौर में पूरे शहर में पुलिस की तैनाती कर दी गई है ताकि, किसान आंदोलन के दौरान शांति कायम रह सके.
- हालांकि, पंजाब में किसानों का एक हिस्सा इस विरोध में शामिल नहीं हुआ है. साथ ही कुछ किसानों ने आंदोलन के विपरित चंडीगढ़ के कुछ इलाकों में दूध सप्लाई किया.
- पंजाब के फरीदकोट में किसानों का विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है. यहां किसान सड़कों पर सब्जियां फेंक कर विरोध जता रहे हैं.
- बर्नाला और संगरूर समेत पंजाब में कई जगह किसानों ने विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है. पंजाब के किसानों ने भी 10 दिनों तक सब्जियों और डेयरी प्रोडक्ट्स को बाहर सप्लाई करने से इनकार कर दिया है.
- मंदसौर के किसानों ने बचे हुए दूध का इस्तेमाल मिठाई बनाने के लिए गांव वालों में वितरित करने का फैसला किया है. साथ ही यह मिठाई किसानों में ही बांटने की तैयारी है.
- मध्य प्रदेश के मंदसौर में किसानों ने स्थानीय मंदिरों में दूध देने का फैसला किया है. उन्होंने कहा है कि आंदोलन के दौरान दूध डेयरी को नहीं बेचेंगे.
- मंदसौर में किसान यूनियन ने 10 दिन के आंदोलन का ऐलान किया है, हालांकि व्यवस्था पूर्ण रूप से कंट्रोल में है.
- मध्य प्रदेश के मंदसौर में किसानों ने सब्जी और दूध को शहर न भेजने का ऐलान किया है.
- मंदसौर के किसानों ने इंडिया टुडे से कहा कि इस आंदोलन में वो पिछले साल जैसी हिंसा नहीं चाहते. उनका कहना है कि, ‘हम इस बार कोई ऐसी घटना नहीं चाहते, जिससे किसी का नुकसान हो. हमने बंद बुलाया है और हम घर में रहकर इसका समर्थन करेंगे.’
क्यों कर रहे हैं किसान आंदोलन
बता दें, किसान स्वामीनाथन कमीशन को लागू करने और कर्ज माफ करने समेत कई अन्य मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं. किसानों के इतने लंबे हड़ताल की वजह से लोगों की मुश्किलें तो बढ़ेंगी ही. साथ ही सरकार के लिए भी मुश्किल पैदा होगी. गौरतलब है कि पिछले साल मध्यप्रदेश के मंदसौर से किसान आंदोलन की चिंगारी उठी थी.
हो सकती है लोगों को परेशानी
- बता दें कि किसानों के इस आंदोलन से रोजमर्रा की चीजों को लेकर लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.
- पिछले साल किसान संगठनों ने मध्य प्रदेश के मंदसौर में अपनी मांगों लेकर आंदोलन किया था, जिसमें राज्य पुलिस की फायरिंग में पांच किसानों की मौत हो गई थी.
- भारतीय किसान यूनियन ने 1 जून से 10 जून तक होने वाली हड़ताल सफल बनाने के लिए ग्रामों में सभाएं भी की गई थीं.
- इस दौरान किसानों से अपील की गई कि वे हड़ताल के दौरान फल, फूल, सब्जी और अनाज को अपने घरों से बाहर न ले जाएं, और न ही वे शहरों से खरीदी करें और न गांवों में बिक्री करें.