हर माह में राशि का परिवर्तन करता है
सूर्य का किसी राशि विशेष पर भ्रमण करना संक्रांति कहलाता है. सूर्य हर माह में राशि का परिवर्तन करता है, इसलिए कुल मिलाकर वर्ष में बारह संक्रांतियां होती हैं. परन्तु दो संक्रांतियां सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती हैं. एक मकर संक्रांति और दूसरी कर्क संक्रांति.
सूर्य जब मकर राशि में जाता है तब मकर संक्रांति होती है. मकर संक्रांति से अग्नि तत्त्व की शुरुआत होती है और कर्क संक्रांति से जल तत्त्व की. इस समय सूर्य उत्तरायण होता है अतः इस समय किेए जप और दान का फल अनंत गुना होता है. इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी.
ज्योतिष से क्या सम्बन्ध है…
- सूर्य और शनि का सम्बन्ध इस पर्व से होने के कारण यह काफी महत्वपूर्ण है.
- कहते हैं इसी त्यौहार पर सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए आते हैं.
- आम तौर पर शुक्र का उदय भी लगभग इसी समय होता है इसलिए यहां से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है.
- अगर कुंडली में सूर्य या शनि की स्थिति ख़राब हो तो इस पर्व पर विशेष तरह की पूजा से उसको ठीक कर सकते हैं.
- जहां पर परिवार में रोग कलह तथा अशांति हो वहां पर रसोई घर में ग्रहों के विशेष नवान्न से पूजा करके लाभ लिया जा सकता है.
मकर संक्रांति को क्या करें
- पहली होरा में स्नान करें,सूर्य को अर्घ्य दें.
- श्रीमदभागवद के एक अध्याय का पाठ करें,या गीता का पाठ करें.
- नए अन्न, कम्बल और घी का दान करे.