उत्तर प्रदेश (uttar pradesh) अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा की जाने वाली भर्तियों के लिए उत्तर प्रदेश में द्विस्तरीय परीक्षा प्रणाली शुरू होने जा रही है। आयोग के अधीन आने वाली सभी भर्ती परीक्षाओं के लिए वही अभ्यर्थी पात्र होंगे, जो प्रारंभिक अर्हता परीक्षा (प्रिलिमिनरी एलिजिबिलिटी टेस्ट- पीईटी) के सफल होंगे।
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महत्वपूर्ण बदलाव को योगी सरकार की मंजूरी
राज्य सरकार की हरी झंडी मिलने के बाद आयोग ने परीक्षा कार्यक्रम के साथ ही पाठ्यक्रम भी तय कर संबंधित आदेश जारी किया है। सौ अंकों की इस वार्षिक परीक्षा में नौ विषयों से संबंधित प्रश्नों के साथ अभ्यर्थी की तर्क शक्ति, समझ और विवेचन क्षमता भी परखी जाएगी। समयावधि दो घंटे होगी। खास बात है कि प्रत्येक गलत उत्तर के लिए एक चौथाई माइनस मार्किंग भी होगी।
भर्ती प्रक्रिया को व्यवस्थित और गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM YOGI) ने पिछले दिनों प्रदेश में द्विस्तरीय परीक्षा प्रणाली अपनाए जाने का निर्देश दिया था। उसी प्रक्रिया के तहत प्रारंभिक अर्हता परीक्षा को आयोग की परिधि में आने वाले सभी पदों पर चयन के लिए अनिवार्य किया गया है। इस परीक्षा के अंकों के आधार पर ही अभ्यर्थियों को विभिन्न पदों के लिए होने वाली मुख्य परीक्षाओं के लिए शॉर्टलिस्ट किया जाएगा। हालांकि, जिन पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी हो चुके हैं, उनके लिए यह परीक्षा नहीं होगी।
आयोग के अध्यक्ष प्रवीर कुमार ने बताया कि पीईटी (PET) के पाठ्यक्रम से संबंधित आदेश आयोग ने जारी कर दिया है। परीक्षा अप्रैल-मई में कराने की तैयारी है। परीक्षा में 30 लाख से अधिक अभ्यर्थियों के शामिल होने का अनुमान लगाया जा रहा है। राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में 50 हजार से ज्यादा समूह-ग के पद रिक्त चल रहे हैं।
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