Ganesh Ji Ke Avatar : जब-जब धर्म की हानि होती है, तब-तब देवी-देवता अलग-अलग अवतार धारण करते हैं। इसी प्रकार कई असुरों का नाश करने के लिए गणेश जी (Ganesh Ji) ने भी अलग-अलग अवतार धारण किए हैं। आइए जानते हैं उन अवतारों के विषय में। Ganesh Ji Ke Avatar
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ये हैं भगवान गणेश से 8 अवतार (Ganesh Ji Ke Avatar)
1. एकदंत अवतार
भगवान गणेश जी का एक दांत पूरा है और एक दांत टूटा हुआ है, जिस कारण उन्हें एकदंत भी कहा जाता है। इस अवतार में भगवान गणेश ने देवताओं को मदासुर के प्रकोप से मुक्ति दिलाई। मद का एक अर्थ नशा भी होता है। गणेश जी यह अवतार हमे यह शिक्षा देता है कि हमे किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहना चाहिए।
2. धूम्रवर्ण अवतार
यह अवतार भगवान गणेश ने अहंतासुर का नाश करने के लिए लिया था। इस अवतार में गणेश जी का रंग धुंए जैसा था इसलिए इसे धूम्रवर्ण अवतार कहते हैं। यहां अहंतासुर अंहकार का प्रतीक है। ऐसे में गणेश जी का ये अवतार अंहकार से मुक्ति का रास्ता दिखाता है।
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3. लंबोदर अवतार
लंबोदर का शाब्दिक अर्थ होता है लंबे या बड़े पेट वाला। भगवान गणेश ने क्रोधासुर का वध करने के लिए लंबोदर अवतार को धारण किया। इस प्रकार गणेश जी की उपासना करने से व्यक्ति क्रोध रूपी राक्षस से भी मुक्ति पा सकता है।
4. महोदर अवतार
जब एक मोहासुन नाम के राक्षस ने देवताओं को पराजित कर स्वर्ग पर अपना अधिकार जमा लिया तब विघ्नहर्ता गणेश जी को महोदर अवतार लेना पड़ा। इस रूप में गणेश जी ने मोहासुन का वध किया। यहां मोहासुन का वध मोह से मुक्ति का प्रतीक है।
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5. वक्रतुंड अवतार (Ganesh Ji Ke Avatar)
भगवान गणेश ने वक्रतुंड अवतार मत्सरासुर नामक राक्षस का वध करने के लिए लिया था। यहां मत्सर का अर्थ है दूसरों के सुख को देखकर जलना। ऐसे में भगवान गणेश का वक्रतुंड अवतार हमें इस अवगुण से मुक्ति का संदेश देता है।
6. विकट अवतार
गणेश जी ने विकट अवतार धारण कर कामासुर नामक दैत्य का वध किया था। इस स्वरूप में गणेश जी मोर पर विराजमान हैं। यहां काम का अर्थ है कामवासना। ऐसे में गणेश जी का विकट अवतार हमें काम वासना से मुक्ति की राह दिखाता है।
7. गजानन अवतार
इस अवतार में गणेश जी ने लोभासुर नाम के राक्षस का अंत किया था। लोभासुर यानी लालच। कई बार मनुष्य लोभ के कारण अपना ही नुकसान कर बैठता है। ऐसे में गजानन अवतार हमें लोभ से मुक्ति का संदेश देता है।
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8. विघ्नराज अवतार
भगवान गणेश ने विघ्नराज अवतार ममासुर का संहारक करने के लिए धारण किया था। इस अवतार में वह शेर को अपना वाहन बनाए हुए हैं। ममासुर का जन्म माता पार्वती हंसी से हुआ था। (Ganesh Ji Ke Avatar)
डिसक्लेमर: ‘इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें।6