श्री गणेश Ganesh की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है
#GaneshChaturthi : श्री गणेश का जन्म भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को दोपहर में हुआ था। ऐसे में हर वर्ष इस तिथि को गणेश चतुर्थी GaneshChaturthi मनाई जाती है। इस बार यह तिथि 22 अगस्त को पड़ रही है। इस दिन श्री गणेश Ganesh की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। गणेश जी अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उनके सभी संकट हर लेते हैं और उनकी इच्छाओं की पूर्ति करते हैं।
आइए जानते हैं गणेश चतुर्थी का इतिहास और महत्व…
इतिहास…
शिवपुराण के अनुसार
देवी पार्वती ने अपने मैल से एक पुतला बनाकर उसमें प्राण डाल दिए थे। उन्होंने इससे कहा कि वो स्नान करने जा रही हैं तो वो किसी को भी महल के अंदर न आने दें। संयोगवश उसीसमय भगवान शिव वहां आ गए। गणेश जी ने शिव जी को अंदर जाने से साफ इंकार कर दिया। शिवजी ने बालक गणेश को बहुत समझाया लेकिन वो नहीं मानें। क्रोध में आकर शिवजी ने गणेश जी Ganesh ji का सिर त्रिशूल से काट दिया। जब माता पार्वती को यह पता चला तो वह बेहद नाराज हो गईैं। उनकी नाराजगी दूर करने के लिए शिवजी ने गणेश के धड़ पर हाथी का मस्तक लगा दिया। साथ ही उन्हें तमाम सामर्थ्य और शक्तियां प्रदान कीं और उन्हें देवताओं में प्रथम पूज्य भी बनाया। शंकर जी ने गणेश जी से कहा, हे गणेश्वर! तू भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को चंद्रमा के उदित होने पर उत्पन्न हुआ है। ऐसे में अगर तिथि पर कोई व्यक्ति उनका व्रत vrat करता है तो उसके सभी विघ्नों का नाश हो जाएगा और उसे सभी सिद्धियां भी प्राप्त होंगी।
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महत्व
मान्यता है कि भगवान श्रीगणेश का जन्म भादो मास की शुक्ल पक्ष के चतुर्थी के दिन हुआ था। यह दिन हर वर्ष उनके जन्मोत्सव के तौर पर मनाया जाता है। गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है। गणेश जी अपने भक्तों के सभी विघ्न और बाधाएं दूर कर देते हैं। इस दिन गणेश भक्त गणपति बप्पा को अपने घर लाते हैं। फिर 11वें दिन धूमधाम के साथ उन्हें विसर्जित कर दिया जाता है।