Ganpati Visarjan 2024 : गणेश महोत्सव का पावन उत्सव भगवान गणेश के जन्म का प्रतीक है, जो गणपति विर्सजन के साथ समाप्त होता है। इस दौरान (ganesh chaturthi 2024) साधक गणेश जी की विभिन्न प्रकार से पूजा करते हैं और उनके लिए कठिन उपवास रखते हैं। Ganpati Visarjan 2024
सितंबर में लग रहा चंद्र ग्रहण इन राशियों के लिए खतरनाक
वहीं, गणपति विर्सजन का समय करीब आ रहा है, तो लोगों के मन यह बात चल रही है कि आखिर बप्पा का विर्सजन क्यों किया जाता है? तो आइए जानते हैं।
ये संकेत बताते हैं कि पितृ हैं नाराज
नहीं पता है पितरों की मृत्यु तिथि? तो…
क्या है गणपति विर्सजन की वजह?
पौराणिक कथा और ग्रंथों के अनुसार, जब महर्षि वेदव्यास ने महाभारत को लिपिबद्ध करने के लिए भगवान गणेश का आह्वान किया था, जिसे लिखने से पूर्व बप्पा ने एक शर्त रखी थी कि ‘मैं जब लिखना प्रारंभ करूंगा तो कलम को रोकूंगा नहीं, यदि कलम रुक गई तो लिखना बंद कर दूंगा’। इसे वेद व्यास जी ने स्वीकार कर लिया था। इसके पश्चात व्यास जी ने गणेश भगवान को महाभारत सुनाना शुरू किया और गौरी पुत्र बिना रुके उसे लिखने लगे, जब 10 दिन के बाद महाभारत की कथा पूर्ण हुई,
तो वेदव्यास जी ने यह देखा कि बप्पा के शरीर का तापमान काफी ज्यादा बढ़ा हुआ है। उन्होंने उनके शरीर के तापमान को कम करने के लिए जल में डुबकी लगवाई। तभी से आज तक गणपित विसर्जन की प्रथा चली आ रही है।
17 या 18 सितंबर? कब है भाद्रपद पूर्णिमा
कब से शुरू हो रहा है पितृ पक्ष? यहां देखिए
गणेश विसर्जन नियम
गणेश विसर्जन से पूर्व भगवान गणेश की विधि अनुसार पूजा करें।
इसके बाद उन्हें मोदक और घर पर बनी मिठाई का भोग लगाएं।
गणेश जी के वैदिक मंत्रों का जाप कर उनकी आरती करें।
इसके बाद किसी पवित्र नदी या अगर किसी वजह से नदी तक जाने में असमर्थ हैं, तो साफ पात्र में शुद्ध पानी भरें। फिर पानी में गंगाजल, फूल, इत्र, मिलाएं और मंत्रों का उच्चारण करें।
विघ्नहर्ता के जयकारों के साथ पानी में धीरे-धीरे उन्हें विसर्जित करें।
फिर उस पानी को पीपल के वृक्ष के नीचे या गमले में डाल दें।
पूजा सामग्रियों को भी विसर्जित कर दें।
क्या आपको भी सपने में दिखा शिवलिंग? जानिए…
जानें, सपने में काला कबूतर दिखना शुभ या अशुभ?