#GopaldasNeeraj ऐसे जुड़े थे फिल्मों से, लिखे ये बेहतरीन गाने
#GopaldasNeeraj सांसों की डोर के आखिरी मोड़ तक बेहतहरीन नगमे लिखने के ख्वाहिशमंद मशहूर गीतकार और पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित कवि गोपालदास सक्सेना ‘नीरज’ का गुरुवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान अस्पताल (एम्स) में निधन हो गया. वह 93 वर्ष के थे.
लंबे समय से चल रहे थे बीमार
- वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे. मंगलवार को उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. इसके चलते उन्हें आगरा के अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
- तबीयत बिगड़ने के बाद गोपालदास नीरज को दिल्ली के एम्स अस्पताल में लाया गया था, जहां उन्होंने शाम 7.35 बजे अंतिम सांस ली.
- नीरज ने एक बार किसी इंटरव्यू में कहा था,‘‘अगर दुनिया से रुखसती के वक्त आपके गीत और कविताएं लोगों की जबान और दिल में हों तो यही आपकी सबसे बड़ी पहचान होगी.
- इसकी ख्वाहिश हर फनकार को होती है.महफिलों और मंचों की शमां रोशन करने वाले नीरज को कभी शोहरत की हसरत नहीं रही.
- उनकी ख्वाहिश थी तो बस इतनी कि जब जिंदगी दामन छुड़ाए तो उनके लबों पर कोई नया नगमा हो, कोई नई कविता हो.
उनकी बेहद लोकप्रिय रचनाओं में…
‘‘कारवां गुजर गया …….’’ रही.. स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से, लुट गए सिंगार सभी बाग के बबूल से, और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे. कारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे! नींद भी खुली न थी कि हाय धूप ढल गई, पांव जब तलक उठें कि ज़िन्दगी फिसल गई,