RAHUL PANDEY
Gorakhpur
नए साल के पहले दिन जम्मू-कश्मीर स्थित माता वैष्णो देवी (Vaishno Devi) भवन में भगदड़ मच गई। हादसे में 12 श्रद्धालुओं की मौत हो गई है। जबकि हादसे में 13 से ज्यादा लोग घायल हो गए। मरने वालों में एक शख्स गोरखपुर जिले का रहने वाला है।
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घर के इकलौते बेटे थे डॉ. अरुण
दरअसल, 31 दिसंबर की रात हुई भगदड़ में गोरखपुर (Gorakhpur) का इकलौता चिराग भी बुझ गया। चौरीचौरा के रामपुर बुजुर्ग गांव के रहने वाले पूर्व प्रधान सत्यप्रकाश सिंह के इकलौते बेटे डॉ. अरुण प्रताप सिंह की भी हादसे में दर्दनाक मौत हो गई। रूद्र शादी के बाद पहली बार अपनी पत्नी अर्चना सिंह को लेकर वैष्णो देवी दर्शन के लिए गए थे। बीते 1 दिसंबर को उनकी शादी कुशीनगर जिले के पकड़ी गांव की रहने वाली अर्चना सिंह से हुई थी और 1 जनवरी की सुबह वैष्णो देवी में हुए दर्दनाक हादसे में उनकी मौत की खबर आई।
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डॉ. अरुण यहां शहर में शाहपुर इलाके के जेल बाइपास रोड पर हिंद हॉस्टिपटल चलाते थे। वे अपनी पत्नी के साथ शहर में ही रहते थे, जबकि माता तारा देवी और पिता सत्यप्रकाश सिंह गांव में रहते थे। परिवार में अरुण के अलावा उनकी एक छोटी बहन भी हैं।
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मौत की खबर आते ही छाया मातम
साल के पहले दिन शनिवार की सुबह अरुण की मौत की खबर आते ही पूरे गांव में मातम छा गया। आसपास के गांव के लोग भी उनके घर पहुंच गए। परिवार का हाल जानने बीजेपी विधायक संगीता यादव भी पहुंचीं। अरुण के पिता पूर्व प्रधान सत्यप्रकाश सिंह ने रो- रोकर कहते हैं कि अभी बीते 1 दिसंबर को उनकी धूमधाम से शादी की थी। शादी के बाद से बच्चों का बाहर घुमने का प्लान था। लेकिन अरुण का कहना था कि पहले मां वैष्णो देवी का दर्शन करेंगे, इसके बाद ही कहीं और जाएंगे। इसलिए उन्होंने नए साल का टूर और हनीमून एक साथ प्लान किया था।
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ऐसे हुआ हादसा
माता वैष्णो देवी (Vaishno Devi) भवन में भगदड़ के दौरान अपने परिजन को खोने वाले एक चश्मदीद उधमपुर निवासी कलदेव सिंह ने बताया कि माता वैष्णो देवी भवन क्षेत्र में कम जगह में ज्यादा लोग आ गए। इससे लोगों को निकलने की जगह नहीं मिल रही थी। थोड़ी सी जगह में बड़ी संख्या में लोग आ और जा रहे थे। इसी बीच धक्का मुक्की के कारण भगदड़ मच गई।