भविष्य को सुरक्षित रखने का सबसे अहम फंड है
#कोरोना_वायरस : प्रोविडेंट फंड यानी पीएफ की रकम भविष्य को सुरक्षित रखने का सबसे अहम फंड है. इसमें पैसा तो जमा होता ही है, साथ ही सरकार की ओर से ब्याज भी मिलता है. लेकिन कोरोना संकट काल में सरकार ने पीएफ को लेकर एक अहम बदलाव किया है.
बदलाव
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के तहत आने वाले सभी नियोक्ताओं और कर्मचारियों के पीएफ कंट्रीब्यूशन को क्रमश: 2-2 फीसदी कम कर दिया गया है.
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अब अगले तीन माह तक कर्मचारी अपने मूल वेतन का 12 फीसदी की बजाए सिर्फ 10 फीसदी कंट्रीब्यूशन देंगे. इसी तरह, कंपनियों को भी 12 फीसदी की बजाए 10 फीसदी का सहयोग देना होगा.
अब तक की स्थिति
- किसी भी कर्मचारी के मूल वेतन का 12 प्रतिशत योगदान कर्मचारी करता है, और इतना ही अंशदान नियोक्ता या कंपनी की ओर से भी पीएफ में किया जाता है.
- यहां यह भी स्पष्ट कर दें कि किसी भी कंपनी या नियोक्ता के हिस्से के 12 फीसदी योगदान में से 8.33 फीसदी या 1250 रुपये, जो भी कम हो, का योगदान कर्मचारी पेंशन योजना यानी ईपीएस में होता है.
- जबकि, शेष 3.67 फीसदी रकम का योगदान कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में होता है.
- इसके उलट, कर्मचारी के हिस्से का पूरा 12 फीसदी ईपीएफ यानी आपके पीएफ फंड में जाता है.
फायदा या नुकसान ?
- सरकार का कहना है कि इस फैसले से कर्मचारियों और नियोक्ता को कुल 6,750 करोड़ रुपये की नकदी मिलेगी.
- इस निर्णय से ,ऐसे 4.3 करोड़ कर्मचारियों और 6.5 लाख नियोक्ताओं को लाभ होगा जो कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिये जारी लॉकडाउन के कारण नकदी समस्या से जूझ रहे हैं.
- हालांकि, एक सच ये भी है कि इस बदलाव में सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं दी जा रही है.
बचत पर झटका
- यह आपके ही पीएफ कंट्रीब्यूशन को कम किया गया है. हालांकि, इस फैसले से लोगों की सैलरी में इजाफा होगा और कोरोना संकट काल में जेब में अधिक पैसे बचेंगे.
- लेकिन नुकसान की तरफ देखें तो ये आपकी बचत पर झटका है.
- मतलब ये कि आप भविष्य सिक्योर करने के लिए जो रकम पीएफ के तौर पर जमा कर रहे थे, वो अगले तीन महीने तक के लिए कम हो गया है.
- जाहिर सी बात है कि पीएफ की रकम कम होने पर सरकार की ओर से ब्याज के तौर पर मिलने वाला मुनाफा भी कम हो जाएगा.