GSVM Medical College News : जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में प्रदेश में पहली बार दाएं तरफ के फेफड़े के दुर्लभ कैंसर का वीएटीएस दूरबीन विधि से इलाज हुआ है। ये प्रदेश का पहला मेडिकल कॉलेज है जहां पर इस विधि से कैंसर का उपचार किया गया है।
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आईसीजी डाई की सहायता से इस ऑपरेशन को सफल बनाया गया है। ये ट्यूमर दिल व सांस की नली के बीच में था। इसलिए यहां से ट्यूमर को निकालना बड़ी चुनौती थी।
जीएसवीएम Medical College प्राचार्य डॉ. संजय काला का दावा है कि इस दुर्लभ कैंसर का उपचार प्रदेश में पहली बार किसी मेडिकल कॉलेज में किया गया है। डॉक्टरों के मुताबिक इस दुर्लभ फेफड़े के कैंसर का दूरबीन विधि से ही ऑपरेशन करना सही था।
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सीने में दर्द की शिकायत लेकर आई थी
बांदा निवासी 46 वर्षीय महिला सीने में दर्द, खांसी, मुंह से खून आने की शिकायत लेकर पिछले एक माह पूर्व हैलट अस्पताल की ओपीडी में आई थी। इससे पहले महिला ने बांदा समेत आसपास के कई जिलों के अस्पतालों में डॉक्टरों से परामर्श ली लेकिन कोई भी इस मर्ज को पकड़ नहीं पाया।
चेस्ट का कराया सीटी स्कैन
प्राचार्य डॉ. संजय काला ने बताया कि मरीज के ओपीडी में आने के बाद सबसे पहले उसके चेस्ट का सीटी स्कैन कराया गया। रिपोर्ट में सीने के दाहिने तरफ फेफड़े के निचले हिस्से में गांठ मिली। गांठ की ब्रांडोस्कोपी विधि से बायोप्सी कराई गई, जिसके माध्यम से पता चला कि ये एक दुर्लभ लंग्स कैंसर हैं, जो ज्यादा जल्दी किसी में नहीं पाया जाता है।
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मरीज को सर्जरी विभाग में सहायक आचार्य डॉ.कुश पाठक के अंडर में भर्ती कर अन्य जाचें कराई गई। इसके साथ ही तमिलनाडू के डॉ.सरवणा राज मनिक्कम (आगन्तुक संकाय सदस्य) को भी इस संबंध में जानकारी दी गई। उनके आने पर 26 जुलाई को प्राचार्य प्रो. संजय काला, एनेस्थिसिया विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.अनिल कुमार वर्मा, डॉ.कुश पाठक व कार्डिएक एनेस्थिसिया सीनियर रेजीडेंट डॉ.मो. हमाद ने मिलकर महिला का दूरबीन विधि से कैंसर का ऑपरेशन किया।
गांठ दिल व सांस की नली के बीच में थी
डॉ. कुश पाठक ने बताया कि ये ऑपरेशन करीब चार घंटे तक चला। इसमें कई तरह की चुनौतियां भी थी, जैसे की मरीजों को बेहोश करना ताकि वह ऑपरेशन के बाद तुरंत होश में आ जाए।
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तमिलनाडू से आए डॉ.सरवणा राज मनिक्कम ने बताया कि महिला को ये गांठ दिल व सांस की नली के बीच में थी। इसकी वजह से डॉक्टरों के सामने काफी चुनौती थी। डॉक्टरों ने चुनौतियों को पार कर और दिल व फेफड़े दोनों को सुरक्षित रखा।
दवा का नहीं हो रहा था असर
डॉक्टरों ने बताया कि पहले तो इस गांठ की वजह से सीने में दाएं तरफ दर्द, खांसते समय खून आना, सिर में दर्द व सांस लेने में दिक्कत समेत आदि समस्या हो रही थी। मरीज को दवा के माध्यम से आराम दिलाना चाहा लेकिन उसमें सफलता नहीं मिली। इस कारण ऑपरेशन करने की सोची गई।