BIHAR के पुलिस महानिदेशक (DGP) गुप्तेश्वर पांडेय ने समय से पहले सेवानिवृत्ति (VRS) लिया है, जिसे राज्यपाल ने स्वीकार भी कर लिया है. गुप्तेश्वर पांडेय ने ऐसे समय में वीआरएस लिया है जब बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. ऐसे में उनके चुनाव लड़ने की चर्चाएं तेज हैं. माना जा रहा कि वह एनडीए NDA के उम्मीदवार के तौर पर सियासी पिच पर किस्मत आजमा सकते हैं. हालांकि, गुप्तेश्वर पांडे ने चुनावी मैदान में उतरने के लिए 11 साल पहले भी वीआरएएस लिया था, लेकिन बीजेपी से टिकट नहीं मिलने के बाद वो वापसी कर गए थे.
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दरअसल 1987 बैच के IPS ऑफिसर गुप्तेश्वर पांडेय को जनवरी 2019 में BIHAR का डीजीपी बनाया गया. गुप्तेश्वर पांडेय ने 2009 में वीआरएस लिया था और उस समय भी उनके लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चाएं तेज थीं. कहा जाता है कि गुप्तेश्वर पांडे बिहार की बक्सर लोकसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे. बीजेपी नेताओं के साथ गुप्तेश्वर पांडे ने अपने समीकरण भी बना लिए थे और टिकट मिलने का पूरा भरोसा हो गया भी हो गया था. सियासी अरमानों पर पानी फिरने के बाद गुप्तेश्वर पांडे ने दोबारा से सर्विस में वापसी का रास्ता तलाशा.
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Gupteshwar Pandey ने इस्तीफा देने के 9 महीने बाद बिहार सरकार से कहा कि वे अपना इस्तीफा वापस लेना चाहते हैं और नौकरी करना चाहते हैं. बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने उनकी अर्जी को स्वीकार करते इस्तीफा वापस कर दिया था. इस तरह से गुप्तेश्वर पांडे की पुलिस सर्विस में नौकरी में वापसी हो गई. 2009 में जब Gupteshwar Pandey ने वीआरएस लिया था तब वो IG थे और 2019 में उन्हें बिहार का डीजीपी बनाया गया था. अब उन्होंने एक बार फिर वीआरएस ऐसे समय में लिया है जब बिहार में चुनावी सरगर्मियां तेज हैं. बतौर डीजीपी उनका कार्यकाल 28 फरवरी 2021 तक था, लेकिन उन्होंने कार्यकाल पूरा होने से पहले वीआरएस ले लिया है. ऐसे में वीआरएस के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं.